दुनियाभर में साल 2050 तक कमर दर्द (Back Pain Problem) की समस्या से जूझने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 84 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी. ऑस्ट्रेलिया (Australia) स्थित सिडनी विश्वविद्यालय (University of Sydney) के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी रिपोर्ट जारी की है. ‘लांसेट रूमाटोलॉजी जर्नल’ में प्रकाशित इस नई स्टडी में इनकी संख्या बढ़ने की आशंका जताई गई है.
ऑस्ट्रेलिया स्थित सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पिछले 30 सालों के डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि लगातार बढ़ती जनसंख्या (Global Population) तथा बुजुर्ग आबादी में होने वाली वृद्धि के कारण एशिया और अफ्रीका में कमर दर्द (Back Pain Problem) की समस्या से जूझ रहे लोगों की संख्या में सबसे ज्यादा इजाफा होगा.
उन्होंने कहा कि कमर दर्द की उपचार पद्धतियां विकसित करने की दिशा में सुसंगत दृष्टिकोण की कमी और इलाज के सीमित विकल्पों के कारण एक बड़ा स्वास्थ्य संकट खड़ा होने की आशंका है, क्योंकि कमर दर्द दुनियाभर में अक्षमता का प्रमुख कारण है.
मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर मैनुएला फरेरा ने कहा कि हमारा विश्लेषण दुनियाभर में कमर दर्द की समस्या से जूझ रहे लोगों की संख्या में वृद्धि को दर्शाता है, जो हमारे स्वास्थ्य तंत्र पर अत्यधिक दबाव डाल रहा है. हमें कमर दर्द के प्रबंधन के लिए एक राष्ट्रीय, सुसंगत दृष्टिकोण स्थापित करने की जरूरत है, जो अनुसंधान की बुनियाद पर टिका हो.
अध्ययन से पता चला है कि 2017 के बाद से वैश्विक स्तर पर कमर दर्द का सामना कर रहे लोगों की संख्या बढ़कर 50 करोड़ के पार चली गई है. वर्ष 2020 में दुनियाभर में कमर दर्द की समस्या से जूझ रहे मरीजों की संख्या 61.9 करोड़ के आसपास दर्ज की गई थी. अध्ययन से यह भी सामने आया है कि कमर दर्द के कारण हुई अक्षमता के लिए मुख्य रूप से कार्य संबंधी कारक, धूम्रपान और मोटापा जिम्मेदार है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि लोगों के बीच बड़े पैमाने पर यह गलत धारणा है कि कमर दर्द की समस्या ज्यादातर कामकाजी उम्र के वयस्कों में उभरती है, लेकिन इस अध्ययन से पुष्टि हुई है कि पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत बुजुर्गों में अधिक सामने आती है. अध्ययन से यह भी पता चला है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कमर दर्द के मामले अधिक दर्ज किए जाते हैं.