भारत का इसरो अमेरिका में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के कारण सुर्खियों में इसरो नासा के साथ आर्टिमिस समूह में शामिल हो रहा है और साथ ही अगले साल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भी पहुंचाने पर सहमति कायम हुई है. वहीं आर्टिमिस करार से चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण को क्या फायदा होगा इसकी भी चर्चा है. चंद्रयान-3 अगले महीने के मध्य में प्रक्षेपित किया जा सकता है. लेकिन चंद्रयान-3 इसरो के साथ भारत के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा. इसरो ने हाल ही में इसके लैंडर की तस्वीरें भी जारी की हैं
चंद्रयान-3 में मूल रूप से एक लैंडर और एक रोवर होगा और इसे इसरो के लॉन्च व्हीलकल मार्क-3 सिस्टम के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा. यह सिस्टम लैंडर और रोवर को अपने प्रपल्शन मॉड्यूल में 100 किलोमीटर की ऊंचाई स्थित चंद्रमा की कक्षा तक ले जाने का काम करेगा. इस मॉड्यूल में स्पैक्ट्रो पोलरमैट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (शेप) नाम का उपकरण भी होगा
चंद्रयान-3 वास्तव में चंद्रयान-2 का फॉलोअप अभियान है जिसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोवरिंग क्षमता का प्रदर्शन करना है. इसे श्रीरहिकोटा से 12 स 19 जुलाई के बीच में प्रक्षेपित किया जाएगा. चंद्रमा पर रोवर के जरिए वहां पर कुछ प्रयोग किए जाएंगे जिसमें चंद्रमा की मिट्टी का रासायनिक विश्लेषण शामिल है.