टेक इंडस्ट्री कर्मचारियों को मोटी सैलरी देने के लिए जानी जाती है. टेक कंपनियों के पास बेहतरीन टैलेंट को अपनी वर्कफोर्स में शामिल करने का सबसे बड़ा हथियार मोटी सैलरी पैकेज है. लेकिन, अब उनके इस हथियार की धार कुंद होने लगी है. इसका कारण है कर्मचारियों का बदलता रवैया. आईटी प्रोफेशनल अब किसी कंपनी को ज्वाइन करते हुए पैसा ही नहीं देख रहे हैं. वे बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस चाहते हैं. अब वे कंपनी की संस्कृति, कैरियर विकास, वर्क-लाइफ बैलेंस और स्थिरता को पैसे से ज्यादा अहमियत दे रहे हैं. जिन कंपनियों में ये सब सही है, उनको अब कम सैलरी में भी अच्छे कर्मचारी मिलने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है.
इस बदलाव के पीछे टेक कंपनियों में हुई भारी छंटनी को बताया जा रहा है. ब्लाइंड की एक स्टडी में भी खुलासा हुआ है कि कर्मचारी अब पैसे का मोह त्याग रहे हैं. ब्लाइंड पर फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा के एक कर्मचारी ने लिखा, “मैं कम पैसे कमाना और ज्यादा खुश रहना पसंद करूंगा.” इसी तरह सेल्सफोर्स के एक कर्मचारी ने लिखा, “मैं टॉक्सिटी को त्यागकर कम पैकेज पर काम के लिए तैयार हूं.”
बदल रही हैं प्राथमिकताएं
बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्लाइंड के एक शोध में पता चला है कि मेटा और सेल्सफोर्स जैसी बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों की प्राथमिकताओं में अब बदलाव आ गया है. सैलरी पैकेज की बजाय अब वे दूसरी बातों को ज्यादा अहमियत देने लगे हैं. वे कंपनी के वर्क कल्चर, करियर ग्रोथ, वर्क-लाइफ बैलेंस को ज्यादा तव्वजो दे रहे हैं. नौकरी की स्टैबिलिटी भी उनकी प्राथमिकता में शामिल है. शोध में सामने आया कि टेक इंजीनियर अब गैर-मौद्रिक लाभों (Non-Monetary Benefits) को ज्यादा अहमियत दे रहे हैं.