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पीएम मोदी के उठाए मसलों पर प्रतिपक्ष को भी अपना रुख साफ करना ही होगा

जब ये लेख लिखा जा रहा है ठीक उसी समय लोककल्याण मार्ग पर हलचल तेज़ हो गयी है. प्रधानमंत्री आवास पर एक बड़ी बैठक चल रही है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा संगठन मंत्री बीएल संतोष शामिल हैं. माना जा रहा है कि इस मंथन का मूल एजेंडा आगामी चुनावों के मद्देनज़र सरकार और संगठन के रूप को लेकर है.

देश को मानसूनी बादल और चुनावी चर्चा ने घेर लिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भारतीय जनता पार्टी के बूथ लेवल कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए 2024 की पिच तैयार कर दी है और ना चाहते हुए भी विपक्ष को अब उन्ही के ट्रैक में खेलना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में भ्रष्टाचार, महंगाई, गांव, किसान, मुसलमान, यूनिफॉर्म सिविल कोड और परिवारवाद जैसे मुद्दों के साथ चुनावी दंगल की सीमा रेखा खीच दी है.

भाजपा की स्पष्ट चुनावी रणनीति है कि वो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लेकर लोगों के बीच जायेगी. भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “हमारा लक्ष्य किसी लाभार्थी को सिर्फ एक योजना का लाभ देना नहीं बल्कि हर योजना का सम्पूर्ण कवरेज है. यानी व्यक्ति जिस भी योजना के लिए योग्य है, उसे उन सारी योजनाओं का लाभ ज़रूर मिले.” प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा के सभी बूथ कार्यकर्ताओं को कहा कि वो ये देखें कि आम जनता में कौन-कौन व्यक्ति किस-किस योजना के योग्य है और सुनिश्चित करे कि उसे हर योजना का लाभ मिले. साफ़ है कि भाजपा को अपने कल्याणकारी कार्यक्रमों जैसे आयुष्मान भारत या फिर फ्री राशन या उज्ज्वला या किसान सम्मान निधि से लेकर फसल बीमा योजना जैसी तमाम योजनाओं पर पूरा भरोसा है और वो उन्ही के सहारे चुनावी समर में उतरने वाली है.

भोपाल सभा में सबसे दिलचस्प मुद्दा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब उठाया जब उन्होंने मुसलमानों की बात करते हुए पसमांदा मुसलमानों का जिक्र किया. तीन तलाक के पक्ष में रोना रोने वालों को आइना दिखाते हुए मोदी ने कहा कि “वोटबैंक के भूखे लोग मुस्लिम बेटियों के साथ अन्याय कर रहे हैं. तीन तलाक अगर इस्लाम का जरूरी अंग है तो कतर, जॉर्डन, इंडोनेशिया जैसे देशों ने इसे क्यों बंद किया?” और असली गुगली तब आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बोलना शुरू किया. मोदी ने कहा कि “एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पाएगा क्या? ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?” प्रधानमंत्री ने ये भी जोड़ा कि सुप्रीम कोर्ट भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने के लिए बार-बार कहता रहा है. संकेत साफ़ हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है.

परंपरागत रूप से भाजपा के तीन बड़े वायदें रहे हैं. पहला अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, दूसरा जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाना और तीसरा देश में समान नागरिक संहिता लागू करना. इनमें से राम मंदिर का निर्माण चल रहा है और बहुत संभव है कि जनवरी 2024 में श्रीरामलला की प्राणप्रतिष्ठा और दर्शन शुरू हो जायेंगे. धारा 370 खत्म कर दूसरा काम भी हो चुका है. तीसरा मुद्दा यूनिफॉर्म सिविल कोड का है जिस पर पहलेर केंद्रीय विधि आयोग ने आम जनता से सुझाव मांगे थे और अब खुद प्रधानमंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया है.