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किस राज्य में बनेगा देश का पहला इलेक्ट्रिक-हाईवे, चलते-चलते ही चार्ज हो जाएंगी बसें

जर्मनी और स्‍वीडन की तरह कुछ वर्षों में भारत में भी आपको इलेक्ट्रिक हाईवे पर बिजली से दौड़ती बसें और ट्रक नजर आएंगे. दिल्‍ली से जयपुर के बीच बनने वाला यह दुनिया का सबसे लंबा इलेक्ट्रिसिटी इनेबल्ड हाईवे होगा. इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए अलग सड़क नहीं बनाई जाएगी बल्कि दिल्‍ली-मुंबई एक्‍सप्रेसवे पर ही एक डेडिकेटेड लेन बिजली से चलने वालों के लिए होगी. इस लेन के ऊपर बिजली की तारें होंगी. इन्‍हीं तारों से इलेक्ट्रिक बसें और ट्रकों को बिजली मिलेगी. अगले 6 वर्षों में इस हाईवे के पूरी तरह चालू होने की उम्‍मीद है.

बिजली से चलने वाली बसों की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. इलेक्ट्रिक हाईवे प्रोजेक्‍ट को बिल्ट,ऑपरेट एंड ट्रांसफर योजना के तहत बनाने की योजना है. टाटा और सिमन्स जैसी कंपनियां इस प्रोजेक्‍ट में दिलचस्‍पी दिखा रही है. इलेक्ट्रिक हाईवे पर चलने वाली बसें और ट्रक आम इलेक्ट्रिक वाहनों से अलग होंगे. अन्य इलेक्ट्रिक साधन जहां बैटरी से चलते हैं और उन्‍हें चार्ज करने की जरूरत होती है. लेकिन, इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए बनाई जाने वाली बसें बैटरी से नहीं चलेंगी.

रेल और मेट्रो की तरह चलेंगी बसें
बिजली वाली ट्रेनों की तरह ही ये बसें इलेक्ट्रिक हाईवे पर चलेंगी. हाईवे के ऊपर से गुजर रही बिजली की तारों से पेंट्रोग्राफ के माध्‍यम से बस को बिजली आपूर्ति लगातार मिलती रहेगी और बस चलती रहेगी. क्‍योंकि पेंट्रोग्राफ से लगातार बिजली मिलेगी तो बसों को बार-बार चार्ज करने की जरूरत ही नहीं होगी और न ही इन बसों में बैटरियों का इस्‍तेमाल होगा.

क्या है इलेक्ट्रिक हाईवे?
इलेक्ट्रिक हाईवे पर वाहनों को जमीन से या फिर ऊपर लगी तारों से बिजली दी जाती है. विश्‍व के कई हिस्‍सों में बसों और ट्रकों के लिए इलेक्ट्रिक हाईवे बनाए गए हैं. इन वाहनों को चार्जिंग स्टेशन पर रुककर चार्ज नहीं करना पड़ता. इसे ट्रेन के उदाहरण से समझ सकते हैं. आपने देखा होगा की ट्रेन पटरी के ऊपर भी बिजली की तारे निकल रही होती हैं. ट्रेन के ऊपर लगा पेंट्रोग्राफ इन तारों से जुड़ता और फिर बिजली ट्रेन के इंजन में ट्रांसफर होती है. ठीक इसी तरह से इलेक्ट्रिक हाईवे भी काम करता है.