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नेपाल को पहले थी छूट; मगर अब भारत ने सख्त किया रुख! किशनगंज के गलगलिया बॉर्डर पर अफरा-तफरी, जानिए मामला

एक ओर जहां भारत से नेपाल में कहीं जाना होता है तो स्थानीय क्षेत्र के लिए नेपाली कस्टम से इंट्री लगती है. इसी तरह नेपाल के भीतरी क्षेत्रों में जाने के लिए प्रतिदिन के हिसाब से नेपाली भंसार अर्थात निर्धारित टैक्स देकर जाना होता है. मगर अब इस मामले में भारत ने भी सख्त कदम उठाया है.

किशनगंज के गलगलिया स्थित भारत-नेपाल सीमा पर गुरुवार को उस वक्त नेपाली वाहन संचालकों के बीच अफरा-तफरी मच गयी, जब नेपाल से आने वाली चार पहिया व दो पहिया गाड़ियों को कस्टम के द्वारा अचानक रोका जाने लगा. जब इसका पता लगाया गया तो यह जानकारी सामने आई कि भारत सरकार के महावाणिज्य दूतावास के द्वारा जारी एक आदेश पत्र के कारण ऐसा किया जा रहा है.

मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय महावाणिज्य दूतावास के द्वारा एक विभागीय पत्र जारी किया गया है, जिसमें गलगलिया के स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ भारतीय कस्टम को यह निर्देश दिया गया है कि नेपाल से आने वाली चार पहिया व दो पहिया गाड़ियों को भारत में तब ही अंदर आने को प्रवेश मिलेगा, जब उक्त वाहन के स्वामी के द्वारा महावाणिज्य दूतावास या भारतीय दूतावास काठमांडू से आवश्यक जारी कागजात लिए होंगे.

बता दें कि पहले गलगलिया तक आने के लिए नेपाली चार पहिया वाहनों को किसी तरह की पास या कागजात की जरूरत नहीं होती थी. अब ऐसे में जब नया नियम अचानक ही सख्ती के साथ लागू किया गया तो सभी चालकों एवं मालिकों के होश उड़ गए और उनके चेहरे पर परेशानी दिखने लगी. उधर नियम जारी होने के बाद गुरुवार को सैकड़ों गाड़ियों को वापस भेज दिया गया. हालांकि, यह नियम नेपाल से आने वाली दो पहिया वाहनों पर लागू नहीं है, फिर भी गलगलिया में कस्टम के द्वारा दो पहिया वाहन को भी रोका जा रहा है.

भारत सरकार को होता था भारी राजस्व का नुकसान- दूतावास से जारी पत्र के अनुसार, अब नेपाली चार पहिया वाहनों को गलगलिया तक भी आने के लिए पास लेना होगा, जो दूतावास से जारी किया जाएगा. अब तक नियमों में ढील के कारण बड़ी संख्या में नेपाली चार पहिया वाहन गलगलिया समेत ठाकुरगंज, सिलिगुड़ी, नक्सलबाड़ी, दार्जिलिंग और यहां तक और बागडोगरा एयरपोर्ट तक भी बिना रोक-टोक के चली जाती थी. जिससे भारत सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होता था.

नेपाल में शुरू हुआ भारत के नए नियम का विरोध- इधर, इस नियम का नेपाल में विरोध भी शुरू हो गया है. हालांकि यहां के कुछ लोगों का कहना है कि इसमें नेपाल में नियम विरोध करने का कोई मतलब नहीं निकलता. जब नेपाल में हमारे साथ ऐसा हो सकता है तो उनके साथ भारत में नियम लगाना बुरा कैसे हो सकता है. अगर बॉर्डर खुला है तो दोनों तरफ समान रूप से नियम होने चाहिए.

इस मामले में जब कस्टम के प्रमंडल कार्यालय फारबिसगंज के कस्टम सहायक आयुक्त कौशिक सन्याल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अभी तक स्पष्ट आदेश प्राप्त नहीं हुआ है कि चार पहिया वाहन के अलावा दो पहिया वाहन को भी रोका जाएगा. फिलहाल नेपाल से आने वाले सभी प्रकार के नेपाली नंबर के वाहनों की आवाजाही पर रोक है. स्पष्ट आदेश आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है, लेकिन फिलहाल रोक है.