महंगाई के मोर्चे पर चिंता के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर पर यथास्थिति बरकरार रख सकता है. एक्सपर्ट्स ने कहा कि आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए कर्ज लेने की लागत स्थिर बनी रहेगी.
आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक 8-10 अगस्त को होगी. गवर्नर शक्तिकांत दास नीतिगत निर्णय की घोषणा 10 अगस्त को करेंगे.
फरवरी के बाद से रेपो रेट 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित
आरबीआई ने ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला पिछले साल मई में शुरू किया था, हालांकि फरवरी के बाद से रेपो रेट 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित है. इसके बाद अप्रैल और जून में दो द्विमासिक नीति समीक्षाओं में प्रधान उधारी दर में फेरबदल नहीं हुआ.
ब्याज दर में अगली 2-3 तिमाहियों तक यथास्थिति रहने की संभावना
पंजाब एंड सिंध बैंक के एमडी स्वरूप कुमार साहा ने कहा कि आरबीआई वैश्विक रुझानों सहित कई चीजों को ध्यान में रखता है. इसलिए, हाल में अमेरिकी फेडरल रिजर्व जैसे कई केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को भी ध्यान में रखा जाएगा. साहा ने कहा, ”समग्र स्थितियों को देखते हुए, मेरा अनुमान है कि आरबीआई रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर बरकरार रखेगा. अगर वैश्विक हालात स्थिर रहते हैं तो ब्याज दर में अगली 2-3 तिमाहियों तक यथास्थिति रहने की संभावना है.”
निकट अवधि में ब्याज दर स्थिर रहने की संभावना
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के एमडी त्रिभुवन अधिकारी ने भी कहा कि केंद्रीय बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में यथास्थिति बनाए रखेगा. उन्होंने कहा कि निकट अवधि में ब्याज दर स्थिर रहने की संभावना है.
महंगाई के बावूजद दरों में बदलाव की संभावना नहीं
यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पैन ने कहा कि टमाटर सहित सब्जियों की कीमतों में महंगाई के बावूजद दरों में बदलाव की संभावना नहीं है.
जून में 4.81 फीसदी पर पहुंची खुदरा महंगाई
सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति 4 फीसदी पर बनी रहे, जिसमें ऊपर या नीचे की ओर 2 फीसदी तक विचलन हो सकता है. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित भारत की खुदरा महंगाई जून में बढ़कर 3 महीने के उच्चतम स्तर 4.81 फीसदी पर पहुंच गई, हालांकि यह आरबीआई के सहनशील स्तर 6 फीसदी से नीचे है.