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आईआईएम अमेंडमेंट बिल पास, अब इनके हाथ में होगी पूरी कमान

भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIM) को लेकर लोकसभा और राज्यसभा ने एक विधेयक पारित किया, जिसमें आग्रह किया गया कि भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIM) की मैनेजमेंट जवाबदेही राष्ट्रपति के पास होनी चाहिए, जो अब एक विजिटर होंगे. इसका मतलब यह है कि भारत के राष्ट्रपति के पास अब IIM के कामकाज का ऑडिट करने, जांच का आदेश देने और डायरेक्टरों को नियुक्त करने के साथ-साथ हटाने की भी शक्ति होगी. राष्ट्रपति पहले से ही IIT और NIT में विजिटर हैं.

अब यह विधेयक कानून बनने से पहले भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) के सामने पेश किया जाएगा. निचले सदन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री, धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य (जो 2017 के IIM अधिनियम में संशोधन करना चाहता है) संस्थान से शैक्षणिक जवाबदेही को छीनना नहीं है, बल्कि इसके मैनेजमेंट जवाबदेही को सुनिश्चित करना है क्योंकि केंद्र ने IIM की स्थापना में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं. प्रधान ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था के तहत, राष्ट्रपति IIT और NIT के विजिटर भी हैं, लेकिन इन संस्थानों की शैक्षणिक स्वायत्तता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा रहा है.

शिक्षा मंत्री ने कहा, “विज़िटर किसी भी संस्थान के काम और प्रगति की समीक्षा करने, उसके मामलों की जांच करने और विज़िटर द्वारा निर्देशित तरीके से रिपोर्ट करने के लिए एक या एक से अधिक व्यक्तियों को नियुक्त कर सकता है. बोर्ड विजिटर को उस संस्थान के खिलाफ उचित जांच की सिफारिश भी कर सकता है, जो अधिनियम के प्रावधानों और उद्देश्यों के अनुसार काम नहीं कर रहा है.”

इनमें राष्ट्रपति को संस्थानों का विजिटर बनाना, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष को नियुक्त करने की शक्ति शामिल है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इससे पहले 14 सितंबर, 2022 को एक बैठक में ली गई थी, जिसमें निदेशकों ने भाग लिया था. इस बैठक में IIM अहमदाबाद, बेंगलुरु, कलकत्ता, इंदौर, लखनऊ और कोझिकोड के डायरेक्टर शामिल नहीं थे.