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राहत….डिप्रेशन, डायबिटीज, मिर्गी, माइग्रेन, हार्ट की दवाएं हुईं सस्ती,सरकार ने 44 फॉर्मूलेशन की कीमतें कीं तय…देखें पूरी लिस्ट

दवा मूल्य नियामक राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority) ने बुधवार को अपनी 115वीं बैठक में 44 नई दवा फॉर्मूलेशन की खुदरा कीमतें तय कीं. ‘जी बिजनेस’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक नियामक ने थोक दवाओं और फॉर्मूलेशन में बदलावों को भी अधिसूचित किया, नॉन-शेड्यूल दवाओं और फॉर्मूलेशन की कीमतों की निगरानी की, और ड्रग्स मूल्य नियंत्रण आदेश (DPCO) के प्रावधानों के कार्यान्वयन की निगरानी की.

बैठक में मल्टीविटामिन और डी3 समेत शुगर, दर्द, बुखार, संक्रमण और हृदय रोग संबंधी दवाओं की अधिकतम कीमतें तय कर दी गई हैं. ट्रोइका फार्मास्यूटिकल्स के 250mg/ml ‘पैरासिटामोल इंजेक्शन’ को फिलहाल छूट दी गई है. एनपीपीए ने अपने आदेश में कहा है कि कोई भी कंपनी तय कीमत के अलावा सिर्फ जीएसटी ही ले सकेगी. इसके अलावा कंपनियां ग्राहक से जीएसटी तभी ले सकेंगी, जब उन्होंने खुद इसका भुगतान किया हो. सभी हितधारकों, खुदरा विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों को 15 दिनों में कीमतों में बदलाव के बारे में सूचित करना होगा.

यदि कोई कंपनी ऐसा करने में विफल रहती है तो उसके खिलाफ जीएसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. एनपीपीए के इस कदम से आईपीसीए लैबोरेटरीज, मैनकाइंड फार्मा, अल्केम लैबोरेटरीज, कैडिला फार्मास्यूटिकल्स, सिप्ला, सनोफी और एबॉट इंडिया जैसी फार्मा कंपनियों पर असर पड़ने की संभावना है. तनाव, मिर्गी, मधुमेह और हल्के माइग्रेन के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाएं सस्ती होंगी. एनपीपीए के आदेश के अनुसार, सिरदर्द, हल्के माइग्रेन, मस्कुलोस्केलेटल दर्द या दर्दनाक मासिक धर्म के उपचार में इस्तेमाल एसेक्लोफेनाक, पेरासिटामोल, सेराटियोपेप्टिडेज की प्रति एक गोली अधिकतम कीमत 8.38 रुपये तय हुई है.

टाइप 2 मधुमेह के व्यस्क रोगियों को दी जाने वाली दवा सीताग्लिप्टिन फॉस्फेट और मेटफार्मिन हाइड्रोक्लोराइड की प्रति एक गोली अधिकतम 9 रुपये में उपलब्ध होगी. मिर्गी के लिए इस्तेमाल लेवेतिरसेटम, सोडियम क्लोराइड आसव और तनाव में दिए जाने वाले पैरोक्सेटाइन नियंत्रित रिलीज और क्लोनाजेपम कैप्सूल की अधिकतम कीमत क्रमश: 0.89 और 14.53 रुपये रहेगी. मौजूदा समय में इन दवाओं की कीमत कहीं अधिक है. इन सभी दवाओं के अधिकतम खुदरा मूल्य में जीएसटी शुल्क अलग है. इसे कंपनियां ग्राहक से तभी वसूल सकेंगी जब उन्होंने खुद जीएसटी का भुगतान किया हो.