डेटा सुरक्षा की जवाबदेही निर्धारित करने के प्रावधान वाले ‘डिजिटल पर्सनल डेटा संरक्षण विधेयक-2023’ (Digital Personal Data Protection Bill) को संसद ने मंजूरी दे दी है. राज्यसभा में बुधवार को ध्वनिमत से पारित इस विधेयक में डिजिटल पर्सनल डेटा के संरक्षण और उसका संवर्द्धन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है. लोकसभा में यह विधेयक 7 अगस्त को पारित हो चुका है. ऐसे में अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा.
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बीते 9 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल माध्यम से आवश्यक सेवाओं को घर घर पहुंचाया है और इसकी पूरी दुनिया में चर्चा है. उन्होंने कहा कि डिजिटल लेन-देन का महत्व सभी ने देखा है और यह हमारे जीवन की जरूरत बन गया है. उन्होंने कहा, ’90 करोड़ भारतीय इंटरनेट से जुड़ गए हैं और छोटे-छोटे गांव तक डिजिटल सुविधा पहुंच गई है. ऐसे में डिजिटल डेटा की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसे देखते हुए यह विधेयक लाया गया है.’
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में डेटा सुरक्षा के लिए समुचित प्रावधान किए गए हैं. उन्होंने कहा कि जो भी डेटा लिया जाएगा, उसका कानून के अनुसार, निर्दिष्ट काम के लिए निश्चित उपयोग किया जाएगा, उपयोग के बाद डेटा को डिलीट करना होगा, डेटा को निजी रखने के लिए समस्त उपाय किए जाएंगे तथा डेटा लेने वाले की यह जिम्मेदारी होगी कि वह कानून के अनुसार डेटा की सुरक्षा करेगा.
डेटा सुरक्षा कानून का आप पर असर
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का डेटा, किसी प्लेटफार्म या ऐप पर आने वाला डेटा अब कानून के तहत आयेगा. इसमें कहा गया है कि इस डेटा को जिस उद्देश्य के लिए लिया जाए, उसी उद्देश्य से उपयोग किया जाए.
उन्होंने बताया कि इसमें प्रावधान किया गया है कि जितना डेटा चाहिए, उतना ही लिया जाए और किसी व्यक्ति के निजी डेटा में बदलाव आने पर उसके अनुरूप ही अनुपालन किया जाए. विधेयक के उद्देश्य में कहा गया कि जितने समय तक डेटा को रखना चाहिए, उतने ही समय तक रखा जाए.