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ISI और हिज्बुल की मीटिंग, जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को फिर जिंदा करने की साजिश, सुरक्षा बलों ने किया डिकोड

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने की कोशिश के मद्देनजर पाकिस्तान के इस्लामाबाद में देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के साथ एक बैठक की है. इस बैठक में आईएसआई के कमांडिंग ऑफिसर और मेजर रैंक के अधिकारी शामिल हुए थे. हिज्बुल मुजाहिदीन के सैयद सलाउद्दीन और मौलाना दाऊद कश्मीरी के साथ-साथ 90 के दशक में पीओके गए कुछ आतंकवादी भी इस्लामाबाद में हुई इस बैठक का हिस्सा थे. इस बैठक में प्लान बनाया गया कि कैसे पुंछ और राजौरी में आतंकवाद को एक बार फिर शुरू किया जा सके.

वहीं, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में कश्मीर और जम्मू संभाग के वे आतंकी भी शामिल थे जो 90 के दशक में पीओके गए और वापस नहीं आए. बैठक में जोर दिया गया कि राजौरी, पुंछ, डोडा और किश्तवार में कैसे एक बार फिर आतंकवाद को जिंदा किया जाए. इस प्लान के मुताबिक 90 के दशक से जो आतंकवादी कमांडर पीओके में रह रहे हैं, उनको चुना गया ताकि वो जम्मू कश्मीर में आकर एक बार फिर युवाओं को बरगला सकें.

दरअसल, जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का ग्राफ लगभग इस वक्त ना के बराबर है क्योंकि आतंकवाद की सुरक्षा बलों ने कमर तोड़ दी है. इसके साथ ही जो आतंकवादी पाकिस्तान से आ रहे हैं, उनका कनेक्ट युवाओं से नहीं हो पा रहा है, यही वजह है कि इन पुराने आतंकी कमांडो को, जो कि जम्मू कश्मीर के रहने वाले हैं… उनको यहां पर भेजा जा रहा, ताकि घाटी के युवाओं के साथ इन आतंकियों का संवाद स्थापित हो सके और ये युवा आतंक राह पर चल पड़े. इसी मकसद को लेकर यह बैठक बुलाई गई और इसी बैठक में पुराने आतंकियों को इस तरह भेजने का आईएसआई ने फैसला किया है.

डोडा और किश्तवार में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तानी हुक्मरानों ने पहले से ही आतंकवादी मोहम्मद अमीन भट्ट को चुना है. पुंछ और राजौरी में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन ने मुनीर हुसैन को चुना था, लेकिन मुनीर हुसैन अपनी आतंकी साजिश में कामयाब हो पाता, उससे पहले ही सोमवार को भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ कंट्रोल) पर मुनीर हुसैन को ढेर कर दिया. इस वक़्त राजौरी और पुंछ में तकरीबन दो से तीन आतंकियों का ग्रुप सक्रिय है. अगर आंकड़े की बात की जाए तो 10 आतंकवादी इस वक्त राजौरी और पुंछ में सक्रिय हैं, जिन्हें ठिकाने लगाने के लिए भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया हुआ है.