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 ‘भारत, मैं मंजिल पर पहुंच गया और आप भी!’ चंद्रयान-3 ने ISRO को चांद से भेजा संदेश

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर चंद्रयान-3 की साफ्ट लैंडिग कराने में सफलता हासिल की. चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने बुधवार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर चांद की सतह को छुआ. अब विक्रम ने चंद्रमा से इसरो के कमांड सेंटर को संदेश भेजा है.

इसरो को भेजे मैसेज में चंद्रयान ने कहा, ‘भारत, मैं अपने गणतव्य पर पहुंच गया हूं और आप भी!’ इसके साथ ही उसने कहा, चंद्रयान-3 ने चांद पर सफलतपूर्वक लैंडिंग की. बधाई हो, भारत!
चांद के ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बना भारत
इसरो के इस महत्वाकांक्षी तीसरे मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने बुधवार शाम चंद्रमा की सतह को छूकर अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता की एक नई इबारत लिखी. वैज्ञानिकों के अनुसार, इस अभियान के अंतिम चरण में सारी प्रक्रियाएं पूर्व निर्धारित योजनाओं के अनुरूप ठीक से चलीं. चंद्रयान-3 की इस सफलता के साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का पहला देश तथा चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया.
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए दक्षिण अफ्रीका से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया. पीएम मोदी ने इस दौरान करते हुए कहा, ‘जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है. ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्रीय जीवन की चिरंजीव चेतना बन जाती है.’

हर आम और खास ब्रेसब्री से देख रहा था यह उपलब्धि
इस बीच, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ‘हमने चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता हसिल कर ली है. भारत चांद पर है.’ यह एक ऐसी सफलता है जिसे न केवल इसरो के शीर्ष वैज्ञानिक, बल्कि भारत का हर आम और खास आदमी टीवी की स्क्रीन पर टकटकी बांधे देख रहा था. यह सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल में रूस का ‘लूना 25’ चांद पर उतरने की कोशिश करते समय दुर्घटना का शिकार हो गया था.
चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता हासिल कर भारत ऐसी उपलब्धि प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, पूर्ववर्ती सोवियत संघ और चीन के नाम ही यह रिकॉर्ड था, लेकिन ये देश भी अब तक चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर विजय प्राप्त नहीं कर पाए हैं. हालांकि, भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने यह साहसिक कारनामा सफलतापूर्वक कर दिखाया है.

चांद की सतह और आसपास के वातावरण की जानकारी जुटाएगा चंद्रयान
इसरो के अनुसार, चंद्रमा की सतह और आसपास के वातावरण का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर के पास एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन के बराबर) का समय होगा. हालांकि, वैज्ञानिकों ने दोनों के एक और चंद्र दिवस तक सक्रिय रहने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है.

पिछले महीने 14 जुलाई को प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-3 से पहले चंद्रयान-2 सात सितंबर 2019 को चंद्र सतह पर पहुंचने से कुछ देर पहले ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में विफल हो गया था. भारत ने पहला चंद्र मिशन 2008 में भेजा था. चंद्रयान-3 मिशन पर 600 करोड़ रुपये की लागत आई और यह 14 जुलाई को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने के लिए 41 दिन की यात्रा पर रवाना हुआ था. इसे प्रक्षेपण यान ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम-3) रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था.
मिशन में आज मिली सफलता से पूरे देश में जश्न मनाया जा रहा है और इसकी सफलता की कामना के लिए आज सुबह से देशभर में यज्ञ और हवन कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा था. देश में अनेक स्कूलों में बच्चों के लिए इस ऐतिहासिक घटना का सीधा प्रसारण किया गया.