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कुछ लोगों को देना पड़ता है 30 परसेंट से भी ज्यादा टैक्स, किसी-किसी को तो भरना होता है 45%, क्या है माजरा?

आमतौर पर आप जिस टैक्स स्लैब में आते हैं उसी के अनुसार आपको आयकर भरना होता है. अब टैक्स भरने के लिए 2 रिजीम हैं. इनमें टैक्स स्लैब अलग-अलग हैं. न्यू टैक्स रिजीम में आपको 3 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है. इसके बाद 5 परसेंट से टैक्स स्लैब शुरू होती है और अधिकतम 30 फीसदी तक जाती है. पुरानी टैक्स रिजीम में भी अधिकतम 30 फीसदी तक ही टैक्स देना होता है. हालांकि, कुछ मामलों में टैक्स यह 30 फीसदी से आगे निकल जाता है. जिन लोगों पर अतिरिक्त टैक्स लगाया जाता है वह हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल होते हैं.

यह अतिरिक्त टैक्स सरचार्ज के रूप में लिया जाता है. 2015 से पहले इन लोगों पर वेल्थ टैक्स लगाया जाता था. जिस भी व्यक्ति की आय 1 करोड़ से अधिक और कंपनी का रेवेन्यू 10 करोड़ से अधिक होता था उन पर वेल्थ टैक्स लगा दिया जाता था. हालांकि, 2015 में इसे खत्म करके इसकी जगह सरचार्ज ले आया गया.

क्या है सरचार्ज की दर
नई टैक्स रिजीम में न्यूनतम सरचार्ज 10 फीसदी और अधिकतम 25 फीसदी है. पुरानी टैक्स रिजीम में यह 10 फीसदी से लेकर 37 फीसदी तक है. पुरानी टैक्स रिजीम में 4 दरें हैं. 50 लाख से अधिक से 1 करोड़ तक के लिए 10 फीसदी, 1 करोड़ से अधिक से 2 करोड़ तक 15 फीसदी, 2 करोड़ से अधिक से 5 करोड़ तक 25 फीसदी और 5 करोड़ से अधिक की आय पर 37 फीसदी. नई टैक्स रिजीम में प्रभावी रूप से 3 ही स्लैब हैं. पहली 10 फीसदी, दूसरी 15 फीसदी, तीसरी 25 फीसदी और चौथी जो 5 करोड़ से अधिक आय के लिए है, वह भी 25 फीसदी.

कैसे होगा कैलकुलेशन
पुरानी टैक्स रिजीम के अनुसार, अगर आपकी आय 50 लाख से अधिक है तो आपको 30 फीसदी टैक्स और नेट टैक्सेबल इनकम पर 10 फीसदी सेस देना होता है. यानी आप कुल 40 फीसदी टैक्स दे रहे हैं अगर आपकी आय 1 करोड़ से ऊपर गई तो टैक्स 45 फीसदी हो जाएगा. उदाहरण के लिए 1.20 करोड़ की सैलरी पर आपका ग्रॉस टोटल टैक्स बनता है 33,18,900, अब इस पर आपको 15 फीसदी सरचार्ज देना होगा. यानी 4,97,835 रुपये का अतिरिक्त टैक्स. ग्रॉस टोटल टैक्स पर ही आपको 4 फीसदी का हेल्थ एंड एजुकेशन सेस देना होगा. जो बनेगा 1,32,765 रुपये. इस तरह से आपकी कुल टैक्स देनदारी हुई 39,49,491 रुपये. ध्यान दें कि यह गणना पुरानी टैक्स रिजीम के अनुसार है.