राजधानी दिल्ली में 2 दिन तक चले G20 शिखर सम्मलेन का आयोजन सफल रहा है. इस दौरान कई अहम फ़ैसले लिए गए और कई देशों से समझौते हुए. इस शिखर सम्मेलन में इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का ऐलान किया गया, जिसे चीन के BRI यानी बेल्ट एंड रोड इनिशियटिव कॉरिडोर का विकल्प माना जा रहा है. इसी के साथ ही अफ्रीकन यूनियन को G20 की स्थायी सदस्यता मिली और वह G20 समूह का 21वां सदस्य देश बन गया. G20 में नई दिल्ली लीडर्स डेक्लेरेशन जारी किया गया और नई दिल्ली घोषणा पत्र में ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ पर जोर दिया गया है.
G20 से क्या मिला?
1- फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर ब्रिटेन राजी
2- इस समिट में भारत की ताकत देखकर तुर्की के राष्ट्रपति भी PM नरेंद्र मोदी के मुरीद हो गए. उन्होंने UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया है.
3- इसके अलावा यूक्रेन पर भी G20 समिट में सहमति बनी.
4- इस समिट के दौरान अमेरिका के साथ कई रक्षा समझौतों पर बात हुई.
5- साथ ही आतंकवाद और मनी लॉड्रिंग पर टास्क फोर्स पर सहमति बनी.
6- G20 समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सामने कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की भारत विरोधी गतिविधियों के बारे में चर्चा की.
7- जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण रखने जैसे मुद्दों पर भी बात हुई.
वहीं भारत के बुलंद फैसलों ने जी-20 में वो कमाल कर दिखाया है, जिसकी उम्मीद ना तो चीन को थी और पड़ोसी देश पाकिस्तान को थी. भारत ने जी-20 देशों के साथ मिलकर पूरे इलाके में समुद्री जहाज और रेलवे का ऐसा नेटवर्क बनाने का फैसला कर लिया है, जो इंडिया मिडिल ईस्ट कॉरिडोर को जी-20 की महाशक्ति बना देगा. इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर सीधे-सीधे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानि BRI और चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानि CPEC को तबाह और बर्बाद कर देगा. भारत की राजधानी दिल्ली में हुई G20 समिट को इंडिया मिडिल ईस्ट कॉरिडोर की ऐतिहासिक डील के लिए हमेशा याद रखा जाएगा.
फिलहाल, 8 देश इंडिया मिडिल ईस्ट कॉरिडोर का हिस्सा हैं. इस डील के बेशुमार फायदे हैं और इसे 10 साल में इसको कम्पलीट करने का टारगेट रखा गया है. इकोनॉमिक कॉरिडोर की अहमियत पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने साफ कहा है कि वन अर्थ, वन फ्यूचर और वन फैमिली का फॉर्मूला प्राइम मिनिस्टर मोदी ने दिया है. इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी को शुक्रिया अदा किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और यूरोपीय संघ के नेताओं के साथ इस ऐतिहासिक कॉरिडोर की घोषणा की. इस कॉरिडोर के तहत भारत मिडिल ईस्ट के रास्ते यूरोप तक अपनी पहुंच बनाएगा. इसके लिए 8 देश मिलकर सबसे बड़ा रेल और जहाज का कॉरिडोर बनाएंगे, जिसके जरिए चीन के बेल्ट एंड रोड पहल को कड़ी टक्कर देने की तैयारी है. ये डील भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट यानी खाड़ी देशों के बीच हुई है. इसे भारत, यूरोप, मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर डील कहा गया है. इसे चीन के दो प्रोजेक्ट्स का जवाब माना जा रहा है. 8 देश इंडिया मिडिल ईस्ट कॉरिडोर में शामिल हैं.
इंडिया मिडिल ईस्ट कॉरिडोर
भारत, यूनाइटेड अरब ऑफ एमीरेट्स यानि UAE, सऊदी अरब, यूरोपीय यूनियन यानि (EU), इटली, जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका इंडिया मिडिल ईस्ट कॉरिडोर में शामिल हैं. भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा के दो हिस्से है एक है उत्तरी गलियारा, जो यूरोप को जोड़ेगा और दूसरा है पूर्वी गलियारा, जो भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ देगा और सीधे-सीधे चीन के बीआरआई और सीपैक के लिए ये बहुत बड़ा चैलेंज बन जाएगा.