अप्रैल-मई-जून की भीषण गर्मी, दिन के बढ़ते तापमान व लू के थपेड़े ने लोगों को बेहाल कर रखा है। इस भीषण गर्मी में बस्तर के आदिवासी दिनभर जंगलों में घूम-घूम कर वनोपज इकठ्ठा करते हैं। मड़िया पेज आदिवासियों की पहचान का एक हिस्सा है जो एक ऐसा पेय पदार्थ है जो बस्तर के लोगों को लू की चपेट में आने से रोकता है और यहां के लोग गर्मी में इसका भरपूर इस्तेमाल करते हैं।मडिया इस क्षेत्र में पैदा होने वाला एक मोटा अनाज होता है। जिसके आटा को मिट्टी के बर्तन में रात भर भीगा कर रखते हैं। सुबह पानी में चावल डालकर पकाते हैं। चावल पकने पर उबलते हुए पानी में मडिया के भीगाए हुए आटे को घोलते हैं। स्थानीय हलबी बोली में इसे पेज कहते हैं। पकने पर उतारकर ठंडा करके 24 घंटे तक इसका सेवन करते हैं। इससे शरीर को ठंडकता मिलती है और भूख भी शांत होती है।
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