दिल्ली आबकारी नीति से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए एएसजी राजू ने कहा कि हम दिखा सकते हैं कि केजरीवाल ने 100 करोड़ की मांग की.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ को ईडी की ओर से पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की ओर से एक नोट दिया गया, जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल की इस दलील का विरोध किया कि जांच एजेंसी ने सरकारी गवाहों के बयानों को दबाया है. ईडी की ओर से राजू ने कहा कि शुरुआती चरण में अरविंद केजरीवाल पर ध्यान केंद्रित नहीं था. जांच एजेंसी उस पर ध्यान नहीं दे रही थी. जांच आगे बढ़ी तो भूमिका स्पष्ट हो गई.
एएसजी राजू ने आगे कहा कि अगर हम शुरू में ही अरविंद केजरीवाल के बारे में पूछना शुरू कर देते तो इसे दुर्भावना कहा जाएगा. जज साहब केस को समझने में समय लगता है. हम इसे रात भर नहीं रख सकते. बातों की पुष्टि करनी होती है. इसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि बयानों में केजरीवाल का नाम पहली बार कब लिया गया? इस पर एएसजी राजू ने बताया कि 23.02.2023 को बुची बाबू के बयान में पहली बार केजरीवाल का नाम आया.
कोर्ट ने ईडी से दिल्ली आबकारी नीति घोटाले पर पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले और बाद की केस फाइलों को पेश करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले की केस फाइल भी मांगीं. बता दें कि अरविंद केजरीवाल को इस मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं.
दालत ने 15 अप्रैल को ईडी को नोटिस जारी किया था और केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरुद्ध उनकी याचिका पर जवाब मांगा था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने नौ अप्रैल को केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं है और केजरीवाल के बार-बार समन की अवहेलना करने के बाद ईडी के पास बहुत कम विकल्प बचे हैं.