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क्या जारी हो पाएगा बूथ वाइज वोटिंग डेटा? सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई, EC कर चुका है इनकार

लोकसभा चुनाव में पांच चरणों की वोटिंग हो चुकी है. छठे चरण के लिए कल यानी 25 मई को वोटिंग होगी. छठे चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले यानी आज सुप्रीम कोर्ट में चुनावी प्रक्रिया को लेकर बेहद अहम सुनवाई है. दरअसल, फॉर्म 17 सी के डेटा को जारी करने को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में मांग की गई है कि मतदान खत्म होने के 48 घंटे के भीतर चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17 C की कॉपी अपलोड करे. हालांकि, चुनाव आयोग ने इस याचिका का विरोध किया है. चुनाव आयोग ने 2019 के डेटा का भी हवाला दिया है.

अब वोटिंग डेटा जारी करने से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच आज यानी शुक्रवार को सुनवाई करेगी. इस मामले में चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल कर याचिका का विरोध किया है. चुनाव आयोग का कहना है कि अगर फॉर्म 17 C की कॉपी वेबसाइट पर अपलोड की गई, तो अफरातफरी मच सकती है. वेबसाइट से कॉपी लेकर उसकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है, उससे आम लोगों का चुनावी प्रक्रिया पर भरोसे को नुकसान हो सकता है. फॉर्म 17 C की कॉपी विभिन्न पार्टियों के पोलिंग एजेंट को दी जाती है, लेकिन इसे सार्वजनिक करना उचित नहीं होगा. इस फॉर्म 17 C की मूल कॉपी स्ट्रॉंग रूम में सुरक्षित रहती है.

चुनाव आयोग ने क्या कहा?
चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में मतदान के बाद वोटिंग प्रतिशत के आंकड़ों में किसी भी तरह के अंतर के आरोपों को पूरी तरह से गलत बताते हुए खारिज किया है. चुनाव आयोग का कहना है कि मतदान प्रतिशत और वोटर टर्नआउट डेटा में गड़बड़ी के आरोप भ्रामक, झूठे हैं. महज संदेह के आधार पर आरोप लगाये गये हैं. आयोग का कहना है कि डेटा को लेकर अनेक स्तर पर सावधानी बरती जाती है, जिस कारण समय लग जाता है. हालांकि कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती.

किसने दायर की याचिका?
इस मामले में एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका में वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है. इसमें कहा गया कि मतदान के कई दिनों बाद आंकड़े जारी किए गये. पहले चरण का डेटा मतदान के 11 दिनों बाद और दूसरे चरण में 4 दिन बाद जारी किया गया. शुरुआती डेटा और अंतिम डेटा में पांच फीसदी के करीब का अंतर होने का भी दावा किया गया.

आखिर क्या होता है फॉर्म 17 C
दरअसल, फॉर्म 17 C में वोटर टर्नआउट का डेटा दर्ज किया जाता है. यह काम पोलिंग अधिकारी करते हैं. फॉर्म 17 C मतदान समाप्त होने के बाद भरा जाता है. इसे सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट्स को दिया जाता है. इस फॉर्म 17 C के जरिए ये पता चल जाता है कि उस बूथ पर कितना फीसदी मतदान हुआ है.