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लोग सुपरमैन बनना चाहते हैं… गुमला जैसी छोटी जगह से मोहन भागवत का बड़ा संदेश

झारखंड के गुमला से आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने बड़ा संदेश दिया है. आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अब लोग सुपरमैन बनना चाहते हैं. मोहन भागवत ने गुमला में यह बयान तब दिया, जब वह गुरुवार को बिशुनपुर में ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में ग्रामीणों को संबोधित कर रहे थे. मोहन भागवत ने कहा कि आत्म-विकास करते समय एक मनुष्य सुपरमैन बनना चाहता है. सुपरमैन के बाद वह देवता और फिर भगवान बनना चाहता है. इंसान विश्वरूप की भी आकांक्षा रखता है लेकिन वहां से आगे भी कुछ है क्या, यह कोई नहीं जानता है. इस बयान को कांग्रेस के जयराम रमेश ने सियासी नजरिए से देखा है.

सबसे पहले जानते हैं कि आखिर मोहन भागवत ने कहा क्या है. गुमला में गुरुवार को मोहन भागवत ने कहा कि कुछ लोगों में मनुष्य होने के बावजूद मानवीय गुणों का अभाव होता है और उन्हें सबसे पहले अपने अंदर इन गुणों को विकसित करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘ प्रगति का कोई अंत नहीं है. मानवीय गुणों को विकसित करने के बाद एक मनुष्य अलौकिक बनना चाहता है, ‘सुपरमैन’ बनना चाहता है, लेकिन वह वहां रुकता नहीं है. इसके बाद उसे लगता है कि देवता बनना चाहिए लेकिन देवता कहते हैं कि हमसे तो बड़ा भगवान है और फिर वह भगवान बनना चाहता है. भगवान कहता है कि वह तो विश्वरूप है तो वह विश्वरूप बनना चाहता है. वहां भी कुछ है क्या रुकने की जगह, ये कोई नहीं जानता है. लेकिन विकास का कोई अंत नहीं है. बाहर का विकास भी और अंदर का विकास भी, यह निरंतर चलने वाली एक प्रक्रिया है.’

‘काम से नहीं होना चाहिए संतुष्ट’
मोहन भागवत ने आगे कहा कि मनुष्य को मानवता के लिए अथक परिश्रम करना चाहिए. साथ ही कहा कि एक कार्यकर्ता को अपने काम से कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए. मोहन भागवत ने कहा, ‘काम जारी रहना चाहिए, पर्यावरण, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में निरंतर कार्य करने का प्रयास करना चाहिए… इसका कोई अंत नहीं है और विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर कार्य करना ही एकमात्र समाधान है…हमें इस विश्व को एक सुंदर स्थान बनाने का प्रयास करना चाहिए जैसी की भारत की प्रकृति है.’ उन्होंने कहा कि सनातन धर्म मानव जाति के कल्याण में विश्वास करता है.

जयराम रमेश ने क्या बयान दिया
मोहन भागवत के सुपरमैन वाले बयान पर जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा है, ‘मुझे यकीन है कि स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को इस ताजा अग्नि मिसाइल की खबर मिल गई होगी, जिसे नागपुर ने झारखंड से लोक कल्याण मार्ग को निशाना बनाकर दागा है.’

मोहन भागवत ने और क्या-क्या कहा?
मोहन भागवत ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा, ‘सनातन संस्कृति और धर्म राजमहलों से नहीं, बल्कि आश्रमों और जंगलों से आए हैं. बदलते समय के साथ हमारे कपड़े तो बदल सकते हैं लेकिन हमारा स्वभाव कभी नहीं बदलेगा.’ बदलते समय में अपने काम और सेवाओं को जारी रखने के लिए हमें नए तौर-तरीके अपनाने होंगे. जो लोग अपने स्वभाव को बरकरार रखते हैं, उन्हें विकसित कहा जाता है.’ भागवत ने कहा, ‘सभी को समाज के कल्याण के लिए अथक प्रयास करना चाहिए और जो लोग सही मायने में काम कर रहे हैं, उन्हें मंच से बोलना चाहिए जबकि हमें बैठकर सुनना चाहिए.’ उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी पिछड़े हुए हैं और उनके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम किये जाने की जरूरत है.