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एक मिशन पर अरबों रुपये खर्च पानी की तरह बहाया पैसा, फिर कर दिया उसे रद्द,

अमेरिका की कांग्रेस ने वहां के स्पेस एजेंसी नासा की एक ऐसी ही  परियोजना को रद्द कर दिया है. लेकिन इसकी वजह भी खास है. वाइपर नाम का यह मिशन साल 2023 तक चंद्रमा पर एक रोवर भेजने वाला था, जिसका मकसद चंद्रमा पर पानी  या बर्फ की खोज करना था. लेकिन यह अभियान अब टल कर 2025 तक पूरा होने वाला था.

क्या था ये मिशन?
चंद्रमा पर पानी (या बर्फ) की खोज दुनिया भर के साइंटिस्ट के लिए खास है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पानी को भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए संभावित ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान के लिए ईंधन स्टेशन प्रभावी रूप से मौजूद है. इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए, NASA ने अपना वोलेटाइल्स इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर (VIPER) मिशन लॉन्च किया था, जिसका मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ का नक्शा बनाना और फिर सतह पर उसे ड्रिल करना था.

अब, रिपोर्टों के अनुसार, नासा ने बीते 17 जुलाई को लागत और देरी की चिंताओं का हवाला देते हुए इस परियोजना को रद्द कर दिया है. नासा के इस अभियान 48 अरब 66 करोड़ 60 लाख से भी ज्यादा  रुपये खर्च हो चुके हैं. एक रोवर, जिसे एजेंसी ने मिशन में इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी, पहले ही इकट्ठा हो चुका है और लैंडर का निर्माण कार्य चल रहा था.

अब, NASA का कहना है कि वह उस रोवर के लिए संभावित खरीदारों की तलाश कर रहा है, जिसका उपयोग चंद्र अन्वेषण मिशनों में किया जा सकता है. NASA के विज्ञान मिशन निदेशालय की एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर निकोला फॉक्स ने कहा, “यह वास्तव में एक कठिन फैसल था, जिसे हमने अनिश्चित बजट वातावरण में लिया है.”

नए अनुमानों से पता चलता है कि मिशन के लिए $176 मिलियन और की आवश्यकता होगी और यह 2025 के अंत तक ही लॉन्च के लिए तैयार होगा. नासा की चंद्रमा पर पानी की खोज अभी भी जारी है VIPER परियोजना के बंद होने के बावजूद, नासा चंद्रमा पर पानी की अपनी चल रही खोज को रोकने नहीं जा रहा है.