बस्तर के सुकमा में आश्रम छात्र की मौत हो गयी. परिजनों ने आश्रम अधीक्षक पर लापरवाही का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि छात्र मलेरिया और पीलिया से पीड़ित था. समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण तबीयत बिगड़ती गयी. परिजनों ने कहा कि अधीक्षक ने भर्ती कराने के बजाय छात्र को आश्रम में रोके रखा.
दरअसल ये मामला 100 सीटर किस्टाराम बालक आश्रम का है. बेटे की मौत के बाद परिजनों में मातम पसरा है. ग्रामीणों ने लापरवाह आश्रम अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. मृतक पालाचलमा पंचायत के तुमिरपाड़ गांव का रहने वाला था.
दूसरी कक्षा का छात्र सोढ़ी जोगा तबीयत पिछले कुछ दिनों से बिगड़ी हुई थी. ग्रामीणों ने छात्र को किस्टाराम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया. जांच में छात्र की मेडिकल रिपोर्ट मलेरिया और पीलिया पॉजिटिव पायी गयी. बेहतर इलाज के लिए डॉक्टरों ने रेफर करने को कहा.
ग्रामीणों की छात्र से मुलाकात की सूचना पर अधीक्षक ने आश्रम के स्टाफ को स्वास्थ्य केंद्र भेजा. स्टाफ ने छात्र को सुकमा से लगे तेलंगाना के भद्राचलम सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया. तब तक छात्र की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी थी. मरीज को डिस्चार्ज कर वापस किस्टाराम आश्रम भेज दिया गया. गांव ले जाते वक्त छात्र की आधे रास्ते में मौत हो गई.
दो महीनो में तीन छात्रों की गई जान
अधीक्षक का कहना है कि आश्रम में पिछले कुछ दिनों से बिजली गुल थी.उन्होंने खुद के भी 3-4 दिनों से बाहर होने की बात कही. स्टाफ ने बीमार छात्र को स्वास्थ केंद्र पहुंचाया. भद्राचलम के सरकारी अस्पताल भी ले गए. गौरतलब है कि 2 महीनों में तीसरी मौत है. पोटाकेबिन और आश्रम में लापरवाही के चलते मासूम छात्रों की मौत का तीसरा मामला है.
बीजापुर के दो पोकेबिन में दो मलेरिया परीड़ितों को समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण जान चली गयी थी. अब सुकमा में भी सोढ़ी जोगा की लापरवाही के कारण मौत हो गई. सरकारी आश्रमों में छात्रों की हो रही मौत पर जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह से चुप्पी साध रखे हैं.