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हिंडनबर्ग मामले पर वित्त मंत्रालय ने जारी किया बयान, शॉर्ट सेलर ने सेबी प्रमुख पर लगाया था गंभीर आरोप

वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि उसके पास हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट पर सेबी और उसकी चेयरपर्सन के बयान के बाद कुछ अतिरिक्त बोलने को नहीं है. हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी नयी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अनडिस्क्लोज्ड फॉरेन एसेट में अघोषित निवेश किया था.

उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका विनोद अडानी ने कथित तौर पर पैसों की हेराफेरी करने तथा समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था. विनोद अडानी, अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई हैं.

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वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘सेबी ने बयान दे दिया है. चेयरपर्सन ने भी बयान दिया है. सरकार को इसपर और कुछ नहीं कहना है.’’

आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने रविवार को एक संयुक्त बयान में कहा था कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति तथा मार्च, 2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले था. ये निवेश ‘‘सिंगापुर में रहने के दौरान निजी तौर पर आम नागरिक की हैसियत से’’ किए गए थे. सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष ‘‘निष्क्रिय’’ हो गए.

सेबी ने भी अपनी चेयरपर्यन का बचाव किया. दो पृष्ठ के बयान में कहा गया कि बुच ने समय-समय पर प्रासंगिक खुलासे किए हैं और उन्होंने ‘‘संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से भी खुद को अलग रखा है.’’
अडानी समूह ने भी सेबी प्रमुख के साथ किसी भी तरह के वाणिज्यिक लेन-देन से इनकार किया है. संपत्ति प्रबंधन इकाई 360वन (जिसे पहले आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट कहा जाता था) ने अलग से बयान में कहा कि बुच तथा उनके पति धवल बुच का आईपीई-प्लस फंड 1 में निवेश कुल निवेश का 1.5 प्रतिशत से भी कम था और उसने अदाणी समूह के शेयरों में कोई निवेश नहीं किया था