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दुनियाभर में फैलने लगी नई महामारी ! अफ्रीकी देशों से पाकिस्तान तक आई, क्या इसकी वैक्सीन उपलब्ध

दुनिया में कोविड महामारी खत्म नहीं हुई है और इसी बीच एक नई महामारी का खतरा बढ़ गया है. WHO ने एमपॉक्स को लेकर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है, क्योंकि कई दशकों से अफ्रीकी देशों तक सीमित यह बीमारी अन्य देशों में फैलने लगी है. हाल ही में एमपॉक्स के नए स्ट्रेन clade Ib के मामले पाकिस्तान और स्वीडन में मिले हैं, जिससे अन्य देशों की टेंशन बढ़ गई है. डब्ल्यूएचओ की मानें तो एमपॉक्स को वक्त रहते कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह नई महामारी की स्थिति पैदा कर सकता है.

WHO की रिपोर्ट के अनुसार एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स कहा जाता था. यह एक वायरल इंफेक्शन है, जो वायरस से फैलता है. 1970 के दशक से अफ्रीकी देशों में इसके केस आना शुरू हुए थे और यह बीमारी अफ्रीकी महाद्वीप तक ही सीमित था. हालांकि अब यह संक्रमण अन्य देशों में फैलने लगा है. इस वायरस को सबसे पहले बंदरों में पाया गया था, जिसकी वजह से इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया था. एमपॉक्स के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं. इसकी चपेट में आने पर लोगों को तेज बुखार, खांसी और जुकाम की समस्या, शरीर में दर्द, अत्यधिक थकावट हो जाती है. साथ ही स्किन पर छाले (चकत्ते) होने लगते हैं.

एमपॉक्स का संक्रमण संक्रमित इंसानों के संपर्क में आने से फैलता है. यह सेक्सुअली ट्रांसमिट होता है. संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर और अन्य चीजों के संपर्क में आने से फैलता है. अफ्रीका में मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से फैलता है. डब्ल्यूएचओ ने एमपॉक्स को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कन्सर्न (PHEIC) घोषित किया है. यह इस बात का संकेत है कि एमपॉक्स की स्थिति वैश्विक स्तर पर गंभीर हो गई है और इसे रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.

मंकीपॉक्स का खतरा गे लोगों को ज्यादा होता है, जिनमें पुरुष पुरुषों से ही यौन संबंध बनाते हैं. एक से ज्यादा लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने वालों को भी इसका ज्यादा खतरा है. वर्तमान आंकड़ों के मुताबिक यह संक्रमण सेक्सुअली ट्रांसमिट हो रहा है. एमपॉक्स कोरोना वायरस से धीमी गति से फैलता है, लेकिन यह काफी जानलेवा हो सकता है. जनवरी 2023 में मौजूदा प्रकोप शुरू होने के बाद से डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) में एमपॉक्स के 27000 मामले सामने आए थे और 1100 लोगों की मौत हहुई थी. इसके बाद यह बीमारी बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा में भी फैल गई.

एमपॉक्स स्मॉलपॉक्स की तरह की दिखता है और 2 से 4 सप्ताह तक रह सकता है. एमपॉक्स होने पर लोगों के चेहरे, पैर, कमर और शरीर के अन्य हिस्सों पर बड़े-बड़े छाले हो जाते हैं. इस बीमारी में बुखार और दर्द से राहत दिलाने वाली दवाएं दी जाती हैं और ज्यादातर लोग कुछ हफ्तों के भीतर अपने आप ठीक हो जाते हैं. हालांकि कुछ लोगों में एमपॉक्स कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकता है और इससे लोगों की मौत हो जाती है. स्मॉलपॉक्स के इलाज के लिए बनाई गई एक एंटीवायरल दवा टेकोविरिमैट को जनवरी 2022 में यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी द्वारा एमपॉक्स के इलाज के लिए मंजूरी दी गई थी.

WHO का कहना है कि ऐसी दवाएं आमतौर पर रेयर केसेस में दी जाती हैं. एमपॉक्स के लिए तीन वैक्सीन भी हैं – MVA-BN, LC16 और ऑर्थोपॉक्सवैक. इन वैक्सीन को पहले स्मॉलपॉक्स यानी चेचक से निपटने के लिए विकसित किया गया था. WHO का कहना है कि केवल हाई रिस्क वाले लोगों और एमपॉक्स से संक्रमित मरीजों के संपर्क में रहने वाले लोगों को वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए. यह वैक्सीन एमपॉक्स से बचा सकती है. WHO ने सभी लोगों को एमपॉक्स से बचने के लिए वैक्सीन लगवाने की सलाह नहीं दी है.