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जिस बात से चिंता में पड़ गए गवर्नर और वित्‍तमंत्री, इस सरकारी बैंक को टेंशन ही नहीं, कहा- इसे चुनौती नहीं मानते

आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन यह बात पूरी तरह सच है कि जिस बात को लेकर रिजर्व बैंक के गवर्नर और वित्‍तमंत्री बार-बार चिंता जता रहे हैं, उसका देश के एक सरकार बैंक पर कोई असर ही नहीं. बैंक के चेयरमैने दो टूक में बात साफ कर दी और कहा कि यह हमारे लिए कोई चुनौती नहीं. बता दें कि गवर्नर शक्तिकांत दास और वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात को लेकर कई बार चिंता जताई है और बैंकों से सुधार करने के लिए इस दिशा में बड़ा कदम उठाने की अपील भी की है.

आपको याद होगा कि इस महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक की एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ तौर पर कहा कि बैंकों में जमा लगातार घट रहा है और कर्ज की मांग बढ़ रही है. इससे जमा और लोन के बीच का दायरा बढ़ता जा रहा, जो बड़ी चिंता का विषय है. बाद में वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बैंकों से निवेशकों को आकर्षित करने वाली जमा योजनाएं लाने की अपील की थी. इसका सीधा मतलब है कि बैंकिंग सिस्‍टम में जमा होने वाली धनराशि में गिरावट आ रही है. हालांकि, इन चिंताओं का देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई पर कोई असर नहीं पड़ रहा. एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने शुक्रवार को कहा कि जमा में गिरावट हमारे लिए कोई चुनौती नहीं है और हम लोन बांटने की ग्रोथ का समर्थन करते हैं.

बताया कैसे करेंगे जुगाड़
दिनेश खारा ने कहा कि एसबीआई ने इस समस्‍या से निपटने का जुगाड़ कर लिया है. कर्ज बांटने के लिए संसाधन जुटाने का विकल्‍प सरकारी प्रतिभूतियों में अपने अतिरिक्त निवेश का एक हिस्सा निकालकर पूरा किया जा रहा है. गौरतलब है कि लगभग दो वर्षों से जमा वृद्धि बैंकिंग प्रणाली के लिए ऋण वृद्धि से पीछे चल रही है.एसबीआई भी अपने कारोबार में इसी तरह का समान रुझान देख रहा है.

क्‍यों घट रहा बैंकों में जमा
विशेषज्ञों का मानना ​​है कि बैंकों में जमा कम होने के पीछे सबसे बड़ा कारण ज्‍यादा रिटर्न वाले विकल्‍पों में निवेश का बढ़ना है. हालांकि, एसबीआई के शोधकर्ता इसे सांख्यिकी मिथक बताते हैं. इस बारे में पूछे जाने पर एसबीआई चेयरमैन ने कहा, ‘हम अपने कर्ज बही-खाते में वृद्धि का अच्छी तरह से समर्थन करने की स्थिति में हैं. जबतक हम ऋण वृद्धि का अच्छी तरह से समर्थन कर सकते हैं, मुझे नहीं लगता कि हमारे सामने कोई चुनौती है.’