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शेयर बाजार में 1 का 10 करने वालों के SEBI बांध देगा हाथ, लाया कड़े नियम, हर कोई नहीं कर पाएगा F&O ट्रेडिंग

डेरिवेटिव ट्रेडिंग को मुश्किल बनाने के लिए भारतीय बाजार नियामक, सेबी, नियमों को और कड़ा करेगा. ऐसा अधिक जोखिम वाले कॉन्ट्रेक्ट्स में ट्रेडर्स की भागीदारी को सीमित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है. रॉयटर्स की खबर के अनुसार, सेबी हर एक्सचेंज पर एक हफ्ते में केवल एक ही ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट की एक्सपायरी की अनुमति देगा. इसके अलावा न्यूनतम ट्रेडिंग राशि को भी लगभग 3 गुना बढ़ाया जाएगा.

इन नियमों का प्रस्ताव जुलाई में रखा गया था और तब ट्रेडर्स और ब्रोकर्स की ओर से काफी विरोध देखने को मिला था. हालांकि, विरोध के बावजूद इन्हें लागू किया जाएगा. खबरों के अनुसार, सेबी मार्जिन की बढ़ती जरूरतों और इंट्राडे ट्रेडिंग पोजिशन को मॉनिटर करने के प्रस्तावों की समीक्षा करेगा. नियामक ये कदम इसलिए उठा रहा है क्योंकि फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में खुदरा निवेशक काफी जोखिम उठा रहे हैं, और अपनी सेविंग्स को यहां झोंक रहे हैं. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां एफएंडओ में ट्रेडिंग करते हुए ट्रेडर्स कर्ज में दब गए हैं.

डेरिवेटिव्स का मंथली वैल्यू अगस्त में 10.92 लाख करोड़ रुपये (130.13 ट्रिलियन डॉलर) तक पहुंच गया, जो विश्व में सबसे अधिक है. डेरिवेटिव में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग ऑप्शंस में की जा रही है. ये ऑप्शंस बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी पर आधारित हैं.

SEBI ने न्यूनतम ट्रेडिंग राशि को बढ़ाकर लगभग 15 से 20 लाख रुपये तक ले जाने का निर्णय लिया है. फिलहाल यह 5 लाख रुपये है. नए नियमों के तहत एक एक्सचेंज एक हफ्ते में केवल एक ही कॉन्ट्रेक्ट की एक्सपायरी की अनुमति दे सकेगा. अभी इस पर कोई सीमा नहीं है.

पहले से लागू कुछ नियम
आपको बता दें कि सेबी ने डेरिवेटिव ट्रेडिंग में शामिल होने वाले स्टॉक्स के लिए भी मानक किये हैं ताकि इसमें केवल मजबूत स्टॉक्स ही आ पाएं. यह बदलाव तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं. नए नियमों में “मीडियन क्वार्टर सिग्मा ऑर्डर साइज” (MQSOS) की भी समीक्षा की है. इस सीमा को 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया गया है.