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इसलिए बच्‍चे बन रहे जिद्दी-गुस्‍सैल….इमोशन रेगुलेशन पर डॉक्‍टर ने दी सलाह, तुरंत बंद करें उनका ब्रेन खराब करना

कई पेरेंट्स (Parents) मिल जाते हैं जो इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि उनका बच्‍चा बहुत बदतमीज होता जा रहा है. वह न तो अच्‍छी तरह बात करता है और जिद करने में नंबर वन हो गया है. यही नहीं, स्‍कूल से आते ही बच्‍चे हाथ में मोबाइल उठा लेते हैं और प्‍यार से मांगने पर वापस नहीं करते. लेकिन व्‍यस्‍तता की वजह से कई बिजी पेरेंट्स कुछ घंटे के लिए उन्‍हें स्‍क्रीन टाइम अलाउ कर देते हैं. हालांकि, उनकी ये गलती बच्‍चे के ब्रेन को काफी नुकसान पहुचा रही है. क्‍या आप जानते हैं कि अत्‍यधिक स्‍क्रीन टाइम बच्‍चों के इमोशन रेगुलेशन (Emotional regulation) में परेशानी का कारण बन जाती है. यही नहीं, डॉक्‍टर का तो यह भी कहना है कि यह उनके बनते ब्रेन को तेजी से खराब कर रहा है और मेंटल सोशल डेवलपमेंट में बहुत बड़ा रुकावट बनता जा रहा है.

क्‍या कहना है डॉक्‍टर का?
फोर्टिस कांगड़ा के बाल रोग विशेषज्ञ एवं नवजात शिशु विशेषज्ञ पुनित आनंद का कहना है कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के इमोशन और सोशल डेवलपमेंट को काफी तेजी से प्रभावित कर रहा है.

शोधों में भी ये पता चला है कि स्क्रीन के सामने बहुत अधिक समय बिताने से इमोशन को कंट्रोल करने में बच्‍चों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. जिसकी वजह से बच्चों में चिड़चिड़ापन, गुस्‍सा, जिद करने जैसे लक्षण दिखते हैं.

डॉ. पुनीत ने बताया कि अधिक स्‍क्रीन टाइम की वजह से उन्‍हें अच्‍छी तरह बोलने, दूसरों के साथ हेल्‍दी रिलेशन बनाने, सोशल होने में काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है. यही नहीं, वे अकेलेपन के शिकार हो जाते हैं और वे आइसोलेशन में रहने लगते हैं.

यह भी पाया गया है‍ कि बच्‍चे जितना अधिक स्‍क्रीन के सामने समय गुजारते हैं, उनमें सहानुभूति जैसी फीलिंग्‍स उतना कम होती जाती है. अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्‍चे शांत और खुशहाल रहें, उनका सामाजित जीवन अच्‍छा रहे, तो बेहतर होगा कि आप उन्‍हें स्‍क्रीन के सामने अधिक देर तक न रहने दें और आउटडोर खेलों में हिस्‍सा लेने के लिए मोटिवेट करें.