भारतीय रेलवे इस समय बदलाव और अपग्रेडेशन की राह पर है. कोयले वाले इंजन हटाकर डीजल आया, फिर डीजल की जगह बिजली के इंजन लगे और अब गैस वाले इंजन से ट्रेन चलाने की तैयारी है. इसमें ज्यादा समय भी नहीं है. भारतीय रेलवे ने जनवरी, 2025 में इस ट्रेन का ट्रायल करने की डेडलाइन रखी है. इससे पहले दिसंबर तक इसका पहला प्रोटोटाइप तैयार भी हो जाएगा. माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ ईंधन की कमी को दूर किया जा सकेगा, बल्कि ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ाई जा सकेगी.
मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जनवरी, 2025 तक देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल्ड ट्रेन का ट्रायल कर लिया जाएगा. दिसंबर तक इसका प्रोटोटाइप भी तैयार हो जाएगा. इसके जरिये अभी चल रहे डीजल इंजन को रिप्लेस किया जाएगा और उसकी जगह हाइड्रोजन वाले इंजन को लगाया जाएगा. रेलवे की योजना है कि 1200 किलोवाट वाले डीजल इंजन को हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित इंजन में बदला जाएगा
प्रदूषण रोकने में प्रभावी
हाइड्रोजन पावर इंजन लगाने से प्रदूषण पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा. हाइड्रोजन ट्रेन का इंजन इसे इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदल देता है. डीजल इंजन के मुकाबले हाइड्रोजन ट्रेन काफी कम प्रदूषण करती है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम फ्यूल सेल आधारित ट्रेन बनाने की तैयारी में हैं. इसमें हाइड्रोजन फ्यूल सेल से ट्रैक्शन एनर्जी उपलब्ध कराई जाएगी.
क्या होता है फ्यूल सेल
आपको बता दें कि फ्यूल सेल एक ऐसा डिवाइस होता है, जो केमिकल रिएक्शन के जरिये हाइड्रोजन का इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए करता है. इसके लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है और इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रोलिसिस के कारण बाई प्रोडक्ट के रूप में पानी जेनरेट होता है. इस तरह पॉवर भी पर्याप्त मिल जाती है और प्रदूषण भी नहीं पैदा होता.
35 ट्रेन सेट बनाएंगे
अधिकारी ने बताया कि फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसका ट्रायल किया जा रहा है. अगर यह सफल होता है तो 35 ट्रेन सेट का ऑर्डर किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक में 6 कोच लगाए जाएंगे. हाइड्रोजन फ्यूल सेल बनाने के लिए बैटरी और फ्यूल सिंक्रोनाइजेशन टेस्ट पूरा कर लिया गया है. ग्लोबल मेजर सेल के डिजाइन को भी अप्रूवल मिल चुका है. इसके अलावा पेट्रोलियम एंड एक्प्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन की ओर से हाइड्रोजन प्लांट को भी अप्रूवल मिल चुका है.
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