देश

पहाड़ों का सीना चीर भारत ने बना दी एशिया की सबसे लंबी वाटर टनल, हिमाचल के साथ यूपी-बिहार को भी होगा फायदा

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बिजली उत्पादन के लिए बनाई जा रही पार्वती परियोजना के दूसरे चरण की अंतिम बाधा को भी पार कर लिया गया है. बरशेनी से पार्वती नदी का पानी सैंज घाटी के सिउंड तक लाने के लिए बनाई जा रही हेडरेस टनल की खुदाई का काम पूरा कर लिया गया है. यह एशिया की सबसे लंबी वाटर टनल है जिसकी लंबाई 32 किलोमीटर है. यह छह मीटर चौड़ी है. मणिकर्ण घाटी के पूलगा से इस टनल की खुदाई शुरू हुई थी. पार्वती परियोजना का पहला चरण पूरा हो चुका है और बिजली उत्‍पादन हो रहा है. अब 32 किलोमीटर लंबी टनल के बन जाने से पार्वती प्रोजेक्ट चरण दो में भी जल्‍द ही बिजजी उत्पादन होने की आस जगी है. टनल की अंतिम खुदाई पूरी हो चुकी है और अब सिर्फ लाइनिंग का काम शेष बचा है.

1999 में अटल बिहारी ने इस टनल की नींव रखी थी. 25 साल पहले मणिकर्ण घाटी के पूलगा से टनल टनल का निर्माण कार्य शुरू किया गया था. लेकिन बीच में कई बाधाओं का भी परियोजना प्रबंधन को सामना करना पड़ा. जिसके चलते इसके निर्माण कार्य में भी काफी देरी हुई है. यहां पर टनल निर्माण के दौरान पहाड़ी से पानी आने के चलते भी करीब 4 सालों तक इसका निर्माण कार्य बंद रहा.

क्‍या है पार्वती जल विद्युत परियोजना
पार्वती परियोजना जिला कुल्लू के तीन इलाके पार्वती, गड़सा और सैंज में स्थित है. यह हिमाचल की सबसे बड़ी परियोजना है. इस परियोजना निर्माण पर 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत का अनुमान है. पार्वती परियोजना के एक चरण का कार्य पूरा हो चुका है और यहां पर 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जा रहा है. दूसरे चरण का कार्य भी पूरा हो जाने पर 1500 मेगावाट से अधिक की बिजली का उत्पादन होने लगेगा.

पार्वती जल विद्युत परियोजना के दूसरे चरण में मणिकर्ण घाटी के पुलगा से पार्वती नदी का पानी 32 किलोमीटर लंबी टनल के माध्यम से सैंज घाटी के सिउंड में पहुंचाया जाएगा. सिउंड में पार्वती परियोजना का विद्युत उत्पादन एरिया बनाया गया है.

पुलगा गांव के समीप कंक्रीट ग्रेविटी बांध से 32 किलोमीटर लंबी सुरंग के भीतर पानी को गुजर जाएगा और इसे सैंज के सिउंड के समीप पावर हाउस में गिराया जाएगा. पुलगां और सिउंड के बीच 863 मीटर के हेड का उपयोग 800 मेगावाट विद्युत के उत्पादन के लिए किया जाएगा. इस तरह पार्वती नदी का सुरंग के माध्‍यम से पहुंचने से विद्युत उत्पादन 1500 मेगावाट पहुंच जाएगा. 1500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होने से देश के राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा सहित कई अन्य राज्यों को भी बिजली मिलेगी.