प्रधानमंत्री एनडीए सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर बड़ा फैसला लिया है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में इस वादे को शामिल किया था. सूत्रों के अनुसार संसद के शीतकालीन सत्र में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का बिल पेश किया जा सकता है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश के अनुसार भारत में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एक साथ दो चरणों में चुनाव होंगे. पहले चरण में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव शामिल होंगे, जबकि दूसरे चरण में पहले चरण के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव शामिल होंगे.
कोविन्द समिति ने की थी सिफारिश
कोविन्द की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ही देश में एक साथ चुनाव को लेकर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी. समिति ने सभी हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ चर्चा और 191 दिन तक लगातार काम करने के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है. बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में 2029 में देश में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी.
किस तरह काम करेगी ये व्यवस्था
आइए जानते हैं, ‘एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था कैसे काम करती है? इसका मतलब संसद, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक ही समय पर एक साथ होना है. आसान भाषा में समझें तो इस व्यवस्था के तहत मतदाता एक ही दिन, एक ही बूथ और एक ही समय पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार व निकाय चुनावों के लिए वोटिंग कर पाएंगे. हालांकि, विधानसभा और संसद के चुनाव केंद्रीय चुनाव आयोग करवाता है. वहीं, स्थानीय निकाय चुनाव राज्य चुनाव आयोग करवाता है. ऐसे में संसद और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं.
12 देशों में होते हैं एक साथ चुनाव
दुनिया भर में एक दर्जन देश ऐसे हैं जहां एक साथ चुनाव कराए जाते हैं. इन देशों में ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, स्वीडन, जर्मनी, फिलीपींस, ब्राजील, बोलीविया, कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, गुआना, कोलंबिया और होंडुरास मुख्य हैं. यहां सभी चुनाव एक साथ कराए जाते हैं. उदाहरण के तौर पर ब्रिटेन में हाउस ऑफ कॉमन्स, स्थानीय चुनाव और मेयर चुनाव एक साथ होते हैं. ब्रिटेन में एक हफ्ते में ही सारे चुनाव करा लिए जाते हैं. दक्षिण अफ्रीका में हर पांच साल बाद संसद, राज्य विधानसभा और नगर पालिकाओं के चुनाव एक साथ होते हैं. वहीं, इंडोनेशिया में राष्ट्रपति और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं. स्वीडन में हर चार साल बाद संसद चुनाव के साथ काउंटी और म्युनिसिपल काउंसिल चुनाव होते हैं.
क्या भारत में संभव है
विशेषज्ञों के मुताबिक अलग-अलग चुनाव कराने पर बहुत ज्यादा खर्च होता है. ऐसा होने पर खर्च में कमी आएगी. दूसरा कई बार चुनाव होने पर बार-बार आदर्श आचार संहिता लागू की जाती है. उस दौरान नीतिगत निर्णय नहीं लिए जा सकते हैं. जाहिर सी बात है कि एक साथ चुनाव कराने से इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा. वहीं, इसको लेकर दूसरा मत भी है. उनका मानना है कि ये देश के संघीय ढांचे के उलट है. ये व्यवस्था लोकतंत्र को चोट पहुंचाएगी. इससे उस राजनीतिक दल को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है जो केंद्र में सरकार में है.
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