भारत ने बांग्लादेश को पहले टेस्ट मैच में 280 रन से हराया. जीत के हीरो हीरो रहे ऑलराउंडर रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा. लेकिन क्या आपको अंदाजा है कि दो महीने बाद जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में खेल रही होगी तो अश्विन और जडेजा प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने के लिए एकदूसरे से संघर्ष करते नजर आएंगे. भारत को ऑस्ट्रेलिया के तेज पिचों पर एक ऐसे पेस ऑलराउंडर की जरूरत होगी, जो कम से कम बांग्लादेश के खिलाफ चुनी गई मौजूदा टीम में तो नहीं है.
इतिहास गवाह है कि ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में हराना कभी आसान नहीं रहा है. ऐसा सिर्फ वही टीम कर सकती है जो ना सिर्फ संतुलित हो और अच्छी फॉर्म में भी हो. ऑस्ट्रेलिया में संतुलन का मतलब होता है कि टीम का पेस अटैक अच्छा हो और बैटिंग में गहराई भी हो. इसीलिए ऑस्ट्रेलिया टूर के लिए जब टीम चुनी जाएगी तो पेस ऑलराउंडर की तलाश होगी. मौजूदा समय में भारत के पास ऐसा कोई पेस ऑलराउंडर नहीं है जो प्लेइंग इलेवन में फिट बैठता हो. लेकिन टीम मैनेजमेंट को शार्दुल ठाकुर, नीतीश रेड्डी और शिवम दुबे में से किसी एक पेस ऑलराउंडर को टीम में फिट करना होगा.
पेस ऑलराउंडर की टीम में एंट्री का मतलब होगा कि रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा में से किसी एक को ही प्लेइंग इलेवन में जगह मिलेगी. अश्विन अपनी काबिलियत के दम पर किसी भी टीम में खेलने के हकदार हैं और किसी भी मैदान पर भी. जडेजा आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर-1 ऑलराउंडर हैं और उनकी उपयोगिता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते. लेकिन मुश्किल यह है कि अगर ये दोनों ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ प्लेइंग इलेवन में चुने जाते हैं तो इसका मतलब होगा कि भारत के पास तीन पेस बॉलर ही होंगे. जबकि कई बार ऑस्ट्रेलिया में चौथे पेस बॉलर की जरूरत होती है.
जडेजा या अश्विन किसका पलड़ा भारी
भारत अगर ऑस्ट्रेलिया टूर पर स्पिन ऑलराउंडर में बैटिंग को ज्यादा महत्व देता है तो जडेजा का दावा अश्विन पर भारी पड़ेगा. अगर भारतीय टीम बैटिंग की बजाय बॉलिंग को अहमियत देती है तो अश्विन पहले दावेदार होंगे और जडेजा उनके बाद. हालांकि, अश्विन और जडेजा के फैंस चाहेंगे कि भारत दोनों ही खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन में रखे.
39 टेस्ट मैच खेल चुके करसन घावरी का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया में भारत को एक पेस ऑलराउंडर और एक स्पिन ऑलराउंडर के साथ उतरना चाहिए. उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, ‘हमें ऑस्ट्रेलिया में एक स्पिन और एक पेस ऑलराउंडर के साथ उतरना चाहिए. यही आदर्श संतुलन होगा.’
नीतीश ने गंवाया मौका, शिमव भी…
इस वक्त भारत के बेस्ट ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या हैं. लेकिन वे अपनी फिटनेस की वजह से टेस्ट मैच नहीं खेलना चाहते. ऐसे में 21 साल के युवा नीतीश रेड्डी का दावा मजबूत लग रहा था लेकिन दलीप ट्रॉफी में वे एक ही विकेट ले सके. शिवम दुबे भी एक विकल्प हैं, लेकिन उनकी गेंदबाजी टेस्ट फॉर्मेट के स्तर की नहीं लगती. ऐसे में पेस ऑलराउंडर के तौर पर शार्दुल ठाकुर का दावा ही सबसे तगड़ा नजर आता है. अब देखना है कि चयनकर्ता किस पर दांव लगाते हैं.
जडेजा-अश्विन पर पहले भी फंसती रही है टीम
भारतीय टीम इंग्लैंड में साल 2023 में जब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में उतरी थी तो जडेजा को अश्विन पर वरीयता दी गई थी. हालांकि, जडेजा उम्मीद पर खरे नहीं उतरे थे. इसी तरह साल 2021 के डब्ल्यूटीसी फाइनल में भारत ने जडेजा और अश्विन दोनों को मैदान पर उतारा था. साफ है कि भारतीय टीम मैनेजमेंट जडेजा और अश्विन में से किसी एक को चुनने को लेकर मुश्किल में फंस सकता है.
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