सरकार देशभर में होने वाले सारे चुनाव एक साथ कराने को लेकर तेजी से कदम उठा रही है. कैबिनेट ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर बनाई गई उच्च स्तरीय कमिटी की सिफारिशें मंजूर कर ली है. माना जा रहा है कि सरकार इस बिल को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश करेगी. केंद्र सरकार इसे चुनाव सुधार की दिशा में बड़ा कदम बता रही है. हालांकि इस राह में कई मुश्किलें दिख रही हैं.
सूत्रों के मुताबिक, वोटर लिस्ट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM)और मतदान कर्मियों की आवाजाही तक एक राष्ट्र-एक चुनाव की राह में कई रोड़े हैं. चुनाव आयोग ने भी कोविंद समिति को दिए गए अपने जवाब में कहा कि वर्ष 2029 में सारे चुनाव एक साथ कराने के लिए 7,951 करोड़ रुपये की जरूरत होगी.
अधिकारियों ने कहा कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए वोटर लिस्ट तैयार करने में एक कठोर प्रक्रिया अपनाई जाती है और इस वजह से यह लिस्ट तो ठीक है, लेकिन स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया को ठीक करने की जरूरत होगी.
लाखों नई EVM-VVPAT की होगी जरूरत
चुनाव आयोग ने मार्च 2023 में विधि आयोग को भेजे गए इनपुट में बताया था कि 2029 में सारे चुनाव एक साथ कराने के लिए देशभर में पोलिंग स्टेशनों की संख्या लगभग 13.6 लाख तक बढ़ानी होगी. इसके लिए 53.8 लाख बैलट यूनिट (बीयू), 38.7 लाख कंट्रोल यूनिट (सीयू) और 41.6 लाख वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) जरूरत पड़ेगी. ऐसे में 26.5 लाख नए बीयू, 17.8 लाख सीयू और 17.8 लाख नए वीवीपीएटी खरीदने पड़ सकते हैं.
सुरक्षा में तैनात करने होंगे 7 लाख कर्मी
चुनाव आयोग ने इसके साथ ही एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए बड़ी संख्या में मतदान कर्मियों और सुरक्षाकर्मियों की जरूरत की तरफ ध्यान दिलाया है. आयोग का अनुमान है कि एक साथ चुनाव कराने के लिए अभी के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा केंद्रीय बलों की जरूरत है. चुनाव आयोग ने कहा था कि यदि 2019 में एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो 4.7 लाख से अधिक कर्मियों की आवश्यकता होगी.
आयोग ने हालांकि 2029 में एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए कर्मियों की जरूरत को लेकर कोई अनुमान तो नहीं दिया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि तब 7 लाख सुरक्षा कर्मियों की जरूरत हो सकती है. चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि ईवीएम और वीवीपीएटी मशीने रखने के लिए 800 और स्ट्रॉन्ग रूम की जरूरत होगी.
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