पृथ्वी के एक चंद्रमा के बारे में तो आप जानते ही हैं. लेकिन अब पृथ्वी को दूसरा चंद्रमा मिलने वाला है. इसे इसकी साइज के कारण मिनी चंद्रमा भी कहा जा रहा है. पृथ्वी का ये नया चांद अगले महीने मिलेगा लेकिन ये अधिक समय तक नहीं रहेगा. फिर अपना नया रास्ता तलाश लेगा. दूसरा मून मुश्किल से चार दिन बाद मिल जाएगा. इस नए चंद्रमा को कुछ लोग मिनी मून कह रहे हैं. हालांकि खगोल वैज्ञानिकों ने इसका नाम 2024 PT5 रखा है. दरअसल ये अब तक पृथ्वी की कक्षा में नहीं था लेकिन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण ने इसे अपनी ओर खींचने में तकरीबन सफलता हासिल कर ली है. जैसे लोग सम्मोहन खींचे चले आते हैं, वैसे इस समय ये पृथ्वी की ओर खींचा चला आ रहा है.
29 सितंबर से ये दुनिया की परिक्रमा करनी शुरू करेगा और फिर करीब दो महीने तक पृथ्वी के साथ रहेगा. 25 नवंबर को फिर ये हमें टाटा-बाय-बाय कह देगा.
क्या होगा इसका आकार
खगोलविदों ने पहली बार 7 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका स्थित वेधशाला में इसे पृथ्वी की ओर आते देखा था. ये ऐसा छोटा चांद है, जिसे क्षुद्रग्रह और एस्टेरायड भी कहा जा रहा है.इसे “अर्जुन क्षुद्रग्रह” के रूप में जाना जाता है.
इसका साइज एक बड़े कमरे के बराबर यानि 11 मीटर या 37 फीट के आसपास बताया जा रहा है. ये घोड़े की नाल सरीखा होगा. हालांकि इसके मुकम्मल साइज का पता तभी लगेगा जब ये पृथ्वी के परिवार में शामिल होकर घूमने लगेगा. इसके बाद ये फिर सूर्य की उस कक्षा में लौट जाएगा, जिसे हेलियोसेंट्रिक ऑर्बिट कहा जाता है.
2013 मिले चंद्रमा का क्या हुआ था
क्षुद्रग्रह को अंतरिक्ष चट्टान भी कहा जाता है. इसी तरह पृथ्वी को ऐसा ही एक चंद्रमा वर्ष 2013 मिला था. ये करीब 55 से 65 फीट (17 से 20 मीटर) आकार का था. ये क्षुद्रग्रह हवा में ही फट गया. इससे जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम की तुलना में 20 से 30 गुना अधिक ऊर्जा निकली. सूरज से भी अधिक चमक पैदा हुई. इसके मलबे ने 7,000 से अधिक इमारतों को नुकसान पहुंचाया और 1,000 से अधिक लोग घायल हुए.
कितनी दूर से करेगा पृथ्वी की परिक्रमा
हालांकि इस एक छोटे चंद्रमा से टकराने का कोई खतरा नहीं है. ये 2.6 मिलियन मील (4.2 मिलियन किलोमीटर) दूर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा. आमतौर पर दो तरह के क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा में आते हैं. एक वो जो ग्रह के चारों ओर कई चक्कर लगाते हैं और कई सालों तक रहते हैं. दूसरे ऐसे होते हैं जो पृथ्वी के चारों ओर एक पूर्ण चक्कर भी पूरा नहीं करता.
अस्थायी तौर पर पकड़ी गई मक्खी
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण अक्सर छोटे क्षुद्रग्रहों को उसकी कक्षा में खींच लेता है. इससे वे अस्थायी रूप से “छोटे-चंद्रमा” बन जाते हैं. शोधकर्ताओं ने इस मिनी-मून को “अस्थायी रूप से पकड़ी गई मक्खी(flyby)” कहा है.
क्यों इसे नंगी आंखों से नहीं देख सकते
हम इस मिनी-मून को देख नहीं सकते क्योंकि इसकी चमक मैग्निट्यूड 22 है, जो इसे नंगी आंखों से या यहां तक कि बाजार में उपलब्ध शक्तिशाली टेलीस्कोप से देखना भी असंभव बनाती है. इसे केवल बड़े 30-इंच वाले पेशेवर टेलीस्कोप से ही देखा जा सकता है.
कहां से आते हैं ऐसे मिनी मून
मिनी-मून वे क्षुद्रग्रह भी हो सकते हैं जो मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट से आते हैं. मिनी मून यानि 2024 PT5 अभी तो कुछ समय बाद पृथ्वी की कक्षा से निकल जाएगा लेकिन खगोलविदों को उम्मीद है कि यह नवंबर 2055 में कुछ दिनों के लिए और फिर 2084 के आरंभ में कुछ सप्ताहों के लिए पृथ्वी का छोटा चंद्रमा बन जाएगा.
यूनिवर्सिडैड कॉम्प्लूटेंस डी मैड्रिड के रिसर्चर डॉ. कार्लोस डे ला फूएंते मार्कोस और डॉ. राउल डे ला फूएंते मार्कोस ने अपने पेपर में लिखा, “पृथ्वी नियमित रूप से निकट-पृथ्वी वस्तु (NEO) की आबादी से क्षुद्रग्रहों को पकड़ सकती है. उन्हें कक्षा में खींच सकती है, जिससे वे छोटे चंद्रमा बन जाते हैं.
इसका कोई असर नहीं होगा
अपने छोटे आकार के कारण, इस मिनी-मून के बारे में भविष्यवाणी की गई है कि यह कोई भी देखने योग्य प्रभाव नहीं पैदा करेगा या हमारे लिए कोई खतरा नहीं माना जाएगा। इसके अलावा, इसके आकार के कारण, यह ज्वार को प्रभावित नहीं करेगा.
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा
दिलचस्प बात यह है कि शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है जब पृथ्वी के दो चंद्रमा हैं. 1981 और 2022 में क्षुद्रग्रह 2022 एनएक्स1 के साथ यह घटना देखी गई, जो 2051 में फिर से दिखाई देगा.
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