वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है. बेंगलुरू की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने जिस मामले में देश की केंद्रीय वित्त मंत्री के खिलाफ ये कड़ा आदेश दिया है, उसके बारे में यहां जानिए. जनाधिकार संघर्ष परिषद (JSP) ने वित्त मंत्री के खिलाफ अदालत में जो आरोप लगाए उसमें कहा गया है कि चुनावी बॉन्ड के जरिए देश की वित्त मंत्री ने जबरन पैसे की जबरन वसूली की गई है. हालांकि अभी इस मामले की सुनवाई को 10 अक्टूबर तक के लिए स्थगित किया गया है, लेकिन ये मामला कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले देश की केंद्रीय मंत्री के खिलाफ मुद्दा बन सकता है.
जेएसपी के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर ने याचिका में कहा कि वित्त मंत्री ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से डरा-धमकाकर जबरन वसूली की है. अब इसी मामले से जुड़ी एक याचिका के बाद वित्त मंत्री के खिलाफ बेंगलुरू की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने एक्शन ले लिया है. साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट के पास चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने चार याचिकाकर्ता की बात सुनने और उनका पक्ष जानने के बाद इस पर फैसला दिया. उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड योजना को ना सिर्फ असंवैधानिक माना, बल्कि इस पर पूरी तरह से रोक लगा दी. चुनावी बॉन्ड या इलेक्ट्रोरल बॉन्ड की शुरुआत साल 2018 में की गई थी और 2024 में इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया.
आदर्श अय्यर की याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंगलुरु की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने बेंगलुरू के तिलक नगर पुलिस स्टेशन को वित्त मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. चुनावी बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली के मामले में जेएसपी के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर ने पिछले साल यानी अप्रैल 2023 में 42वें एसीएमएम कोर्ट का रुख किया था.
याचिकाकर्ता ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बीजेपी के तत्कालीन कर्नाटक अध्यक्ष नलिन कुमार कटील, बी वाई विजयेंद्र के खिलाफ शिकायत की थी. इसके साथ ही उन्होंने ईडी अधिकारियों के खिलाफ भी आरोप लगाए थे.
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