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मणिपुर में CRPF कैंप पर हमले की गुस्ताखी पड़ी महंगी, सुरक्षा बलों ने 10 आतंकियों को किया ढेर, इलाके में कर्फ्यू

इंफाल. मणिपुर के जिरीबाम जिले में सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में 10 हथियारबंद उग्रवादी मारे गए. खबरों के मुताबिक आज दोपहर करीब 3 बजे जिरीबाम जिले के जाकुरधोर और बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन में मौजूद सीआरपीएफ पोस्ट पर हथियारबंद उग्रवादियों ने हमला किया. सुरक्षा बलों ने भी जोरदार जवाबी कार्रवाई की और भारी गोलीबारी में 10 हथियारबंद उग्रवादियों को मार गिराया. सीआरपीएफ और सिविल पुलिस ने इस हमले का जमकर जवाब दिया. 40-45 मिनट तक चली भारी गोलीबारी के बाद स्थिति पर काबू पा लिया गया. गोलीबारी बंद होने के बाद इलाके की तलाशी ली गई. जिरीबाम में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है.

तलाशी में हथियार और गोला-बारूद (3 एके, 4 एसएलआर, 2 इंसास, 01 आरपीजी, 01 पंप एक्शन गन, बीपी हेलमेट और मैगजीन) के साथ 10 हथियारबंद उग्रवादियों के शव बरामद किए गए. इस हमले के कारण, सीआरपीएफ के एक कांस्टेबल संजीव कुमार को गोली लगी और उसे असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है और उसका इलाज चल रहा है. इस हमले में एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया है और इसकी जांच की जा रही है. जिरीबाम जिले के बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत जकुरधोर और उसके आसपास के इलाकों में सशस्त्र उग्रवादियों को खदेड़ने के लिए अभियान जारी है. असम राइफल्स, सीआरपीएफ और सिविल पुलिस की टीमों को वहां भेजा गया है.

उग्रवादियों ने किया किसानों पर हमला
इस बीच हथियारबंद उग्रवादियों ने जिले के बोरोबेकरा उपखंड में स्थित कई दुकानों को आग लगा दी. उग्रवादियों ने दोपहर करीब 2.30 बजे बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन की ओर कई राउंड फायरिंग की और जकुराडोर करोंग की ओर बढ़ते हुए आगजनी की. सोमवार की सुबह मणिपुर के इम्फाल पूर्वी जिले में खेतों में काम कर रहे एक किसान को उस समय चोटें आईं, जब उग्रवादियों ने पास की पहाड़ियों से गोलीबारी की.

जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए
इंफाल घाटी में खेतों में काम कर रहे किसानों पर पहाड़ी इलाकों में रहने वाले उग्रवादियों द्वारा हमला करने का यह लगातार तीसरा दिन था. सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे और जवाबी फायरिंग की, जिसके बाद कुछ देर के लिए गोलीबारी हुई. गौरतलब है कि पिछले साल मई से मणिपुर में इम्फाल स्थित मैतेई और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी लोगों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं.