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क्‍या निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल की बात सुनेगा आरबीआई

भारत में रेपो रेट लंबे समय से 6.5 फीसदी पर बना हुआ है. इस वजह से होम लोन, कार लोन सहित लगभग सभी ऋणों पर लोगों को ज्‍यादा ब्‍याज भरना पड़ रहा है. ब्‍याज दरें ऊंची हैं और ये कम होनी चाहिए, ऐसा अब वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी मानना है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी ब्‍याज दरों में कटौती की मांग कर चुके हैं. ऐसे में सबके मन में यह सवाल है कि क्‍या अगली मौद्रिक नीति समिति (MPC) में भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती करेगा?

दो प्रभावशाली केंद्रीय मंत्रियों के ब्‍याज दरों में कटौती करने की वकालत करने के बाद भले ही ब्‍याज दरें घटाने का दबाव आरबीआई पर बना हो, पर वह अभी आम आदमी को कोई राहत देगा, ऐसा विशेषज्ञों को नहीं लगता है. उनका कहना है कि पहले महंगाई दर के ताजा आंकड़े केंद्रीय बैंक की सहनशीलता सीमा से बाहर हो गए हैं. ऐसे में आरबीआई ब्याज दरें कम नहीं करेगा क्‍योंकि उसकी प्राथमिकता महंगाई को काबू में रखना है.

सरकार-आरबीआई के अपने-अपने लक्ष्‍य
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक अपने-अपने लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं. सरकार मानती है कि कम ब्याज दरें निवेश और खपत को बढ़ावा दे सकती हैं, जबकि आरबीआई की प्राथमिकता महंगाई पर नियंत्रण रखना है. महंगाई दर मौजूदा समय में केंद्रीय बैंक की सहनशीलता सीमा से बाहर है और मौद्रिक नीति समिति इस पहलू को अपने दर निर्धारण में प्रमुखता देगी.

सबनवीस ने यह भी कहा कि कम ब्याज दरें सैद्धांतिक रूप से खपत और निवेश को प्रोत्साहित करती हैं, लेकिन वास्तविकता में यह हमेशा सच नहीं होता. उन्होंने कहा, “खपत खर्च मुख्य रूप से आय स्तर पर निर्भर करता है, और उधारी इसका केवल मामूली समर्थन करती है. इसी तरह, निवेश निर्णय मुख्य रूप से क्षमता उपयोग और बाजार स्थितियों से प्रेरित होते हैं.”

अगले साल ब्‍याज दरों में कटौती की संभव
डीबीएस बैंक की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव का कहना है कि महंगाई में बढ़ोतरी के पीछे कई कारण हैं. आपूर्ति में बाधाओं के कम होने से महंगाई लक्ष्यों के करीब आ सकती है. इसके चलते 2025 की शुरुआत में दर कटौती के लिए सीमित मौका हो सकता है. उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि फरवरी 2025 से दर कटौती शुरू होगी, लेकिन 2025 के अंत तक कटौती की कुल मात्रा 75 बेसिस प्वाइंट तक ही हो सकती है.”

राव ने कहा कि असमय भारी बारिश और ऑयल सीड पर आयात कर में वृद्धि ने भी कीमतें बढ़ाई हैं. इसके परिणामस्वरूप Q3FY25 की तिमाही में महंगाई दर आरबीआई के अनुमान 4.8% की तुलना में 5% तक पहुंच सकती है.