जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान रियो डी जनेरियो में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को खरी-खोटी सुनाने के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भारत के पीएस नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. दोनों नेताओं की इस मुलाकात में दोनों देशों ने 2025 में व्यापार वार्ता को फिर से शुरू करने का फैसला किया. यह कदम भारत और यूके के बीच व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. दोनों नेताओं ने जल्द से जल्द मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement) वार्ता फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की.
बता दें कि भारत और ब्रिटेन ने अपने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को अंतिम रूप देने में कुछ चुनौतियों का सामना किया है. बातचीत 2022 से चल रही है, लेकिन यह भारत की वीजा नियमों को आसान बनाने और ब्रिटेन में भारतीय छात्रों और प्रोफेशनल्स के लिए शुल्क कम करने की मांग पर अटकी हुई है. इस मांग को ब्रिटिश सरकार ने स्वीकार नहीं किया है.
उधर, ब्रिटेन भी अपने निर्यात पर कम टैरिफ चाहता है, जैसे कि ऑटोमोबाइल, स्कॉच व्हिस्की, और कानूनी सेवाएं, जो भारत के लिए संवेदनशील क्षेत्र हैं. एक और महत्वपूर्ण मुद्दा श्रम मानकों (labor standards) और स्थिरता की प्रतिबद्धताओं का समावेश (sustainability commitments) है, जिसे ब्रिटेन महत्वपूर्ण मानता है. भारत इन मुद्दों को लेकर बड़ी सतर्कता बरतता है, क्योंकि इससे देश पर आर्थिक और नीतिगत प्रभाव पड़ सकते हैं
चीन को ब्रिटेन में क्या बात हुई?
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात पूरी तक सकारात्मक रही. मगर ब्रिटेश के पीएण कीर स्टारमर चीन से थोड़े उखड़े-उखड़े नजर आए. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात में उन्होंने ब्रिटिश सांसदों पर लगाए गए प्रतिबंध और हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता जिमी लाई की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति का मुद्दा उठाया. बता दें कि जिमी लाई एक ब्रिटिश नागरिक और लोकतंत्र समर्थक मीडिया के मालिक हैं, लेकिन इस समय हांगकांग में जेल में बंद हैं. जब स्टारमर ने जिमी लाई के मुद्दे को उठाया, तो चीनी अधिकारियों ने ब्रिटिश पत्रकारों को मीटिंग रूम से बाहर निकाल दिया.
स्टारमर ने शी के साथ व्यापक मानवाधिकार मुद्दों पर भी बात की. इसमें उन ब्रिटिश सांसदों पर लगाए गए चीनी प्रतिबंध शामिल थे, जिनमें पूर्व सुरक्षा मंत्री टॉम टुगेंधाट और हाउस ऑफ कॉमन्स की उपाध्यक्ष नुस घानी शामिल हैं. इन प्रतिबंधों को लेकर ब्रिटेन और चीन के संबंधों में खटास बनी हुई है
चूंकि यह एक वैश्विक मंच था, तो स्टारमर ने यह भी कहा कि- “हम दोनों देशों के बीच संबंधों को स्थिर, स्थायी, सम्मानजनक और जहां तक संभव हो, अप्रत्याशित घटनाओं से मुक्त रखना चाहते हैं.” इस वाक्य पर यदि गहराई से विचार किया जाए तो स्टारमर ने चीनी राष्ट्रपति को ‘अप्रत्याशित घटनाओं’ से दूर रहने की हिदायत दी. और यह भी जता दिया कि यदि ऐसी घटनाएं नहीं होती हैं, तभी दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार हो सकता है.
स्टारमर ने यह भी प्रस्ताव दिया कि ब्रिटिश चांसलर रेचल रीव्स जनवरी में चीनी उप-प्रधानमंत्री ही लिफेंग से बीजिंग में मुलाकात करें, ताकि व्यापार और निवेश के अवसरों को मजबूत किया जा सके और ब्रिटिश व्यवसायों के लिए एक समान मंच तैयार किया जा सके.