महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे कल आने वाले हैं. हालांकि, एग्जिट पोल के नतीजे में महायुति की सरकार बनती दिख रही है, लेकिन मामला अगर थोड़ा भी इधर-उधर हुआ तो बाजी महाविकास अघाड़ी भी मार सकता है. ऐसे में शुक्रवार से ही राजनीतिक बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है. कहा तो ये भी जा रहा है कि महाराष्ट्र में अगर किसी भी गठबंधन को क्लियर मेजोरिटी नहीं मिलती है तो पाला बदलने का खेल भी शुरू हो सकता है. इसलिए दोनों गठबंधनों में अभी से ही ‘विभीषण’ की तलाश तेज हो गई है. सभी दलों के बड़े नेताओं अपने प्रत्याशियों को ‘तौलना’ शुरू कर दिया है.
महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस आखिरी दम तक हार मानने को तैयार नहीं है. एग्जिट पोल में बेशक बीजेपी नेतृत्व वाली महायुति सत्ता में वापसी करती हुई दिख रही है, लेकिन कांग्रेस, एनसीपी शरद पवार और शिवसेना उद्धव गुट भी हार मानने को तैयार नहीं है. दोनों गठबंधन में ये भी प्लान बनाया जा रहा है कि अगर 10-15 सीटें कम आती हैं तो किस दल को तोड़कर अपने साथ लाया जाए.
महाराष्ट्र में ‘विभीषण’ की तलाश हुई तेज
महायुति या महाविकास अघाड़ी में अगर किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो दूसरे छोटे-छोटे गठबंधन या दलों को निश्चित रूप से सीट आएंगे. ऐसे में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मानसे), असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, बीएसपी, प्रकाश आंबेडर की वंचित बहुजन आघाड़ी सहित कई निर्दलीय भी महाविकास अघाड़ी और महायुति के निशाने पर होंगे.
इन पार्टियों के नेताओं पर रहेगी नजर
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में बीजेपी 149, शिवसेना एकनाथ शिंदे, 81, एनसीपी अजित पवार 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. वहीं, कांग्रेस 101 सीट, एनसीपी शरद पवार गुट 86 सीटें और शिवसेना उद्धव गुट 95 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. मनसे 125 सीटें, वंचित बहुजन आघाड़ी 200, बहुजन समाजवादी पार्टी 237 सीटें, एआईएमआईएम 17 सीटें और आजाद समाज पार्टी 26 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
क्या विचारधार की जीत होगी या फिर लालच आएगा काम?
ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर इन पार्टियों के प्रत्याशी जीतते हैं तो इनमें से कई विचारधारा को ध्यान में रखकर महायुति और महाविकास अघाड़ी को समर्थन दे सकती है. इसमें मनसे, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी और कुछ निर्दलीय कैंडिडेट की भूमिका अहम होगी. इसलिए अभी से ही दोनों गठबंधन में विभीषण की तलाश शुरू हो गई है. कांग्रेस के महाराष्ट्र अध्यक्ष नाना पटोले के बयान से साफ जाहिर हो गया है कि महाराष्ट्र में जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो सकती है.
कुल मिलाकर, महाराष्ट्र चुनाव में कल का दिन काफी अहम साबित होने वाला है. अगर किसी गठबंधन को बहुमत हासिल नहीं होता है तो कल से ही नेता दिन में टॉर्च लेकर विधायकों की खोज तेज कर देंगे. लेकिन, अगर महायुति या महाविकास अघाड़ी को स्पष्ट बहुमत आ जाता है तो फिर विभीषण की तलाश करने वाले नेता बेरोजगार हो जाएंगे और वह अगले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का इंतजार करेंगे.