भारतीय करेंसी अपने इतिहास के सबसे कमजोर लेवल पर पहुंच गई है. सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 12 पैसे टूटकर 84.71 के स्तर पर बंद हुआ, जो अब तक का सबसे कमजोर लेवल है. यह खबर तो आपने भी पढ़ी होगी, क्या आपको पता है कि रुपये में कमजोरी आने पर आम आदमी पर इसका क्या असर पड़ता है. अगर आप सोच रहे हैं कि रुपये गिरने और चढ़ने का संबंध सिर्फ आरबीआई, सरकार और अर्थव्यवस्था तक सीमित है तो बिलकुल गलत हैं. इसमें आई कोई भी गिरावट सीधे तौर पर आम आदमी की जेब पर असर डालती है.
वैसे रुपये में यह गिरावट इसलिए भी ज्यादा दिख रही, क्योंकि अमेरिका के बनने वाले नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स मुद्रा के खिलाफ सख्य बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि अगर ब्रिक्स मुद्रा आती है तो वे आयात करना बंद कर देंगे. अगर डॉलर को कमजोर किया जाएगा तो ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया जाएगा. इस बयान के बाद रुपया टूटकर ऐतिहासिक कमजोर स्तर पर पहुंच गया. लेकिन, इसका आपकी जिंदगी और जेब पर क्या असर होगा, इसकी पूरी जानकारी देते हैं.
बढ़ सकती है महंगाई
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने से बाहर से आने वाली वस्तुएं महंगी हो जाती हैं. अगर आप सोच रहे कि आम आदमी तो इम्पोर्टेड चीजों का इस्तेमाल करता नहीं, पर ये गलत है. भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल बाहर से मंगाता है. अब गणित समझिए कि अगर तेल यानी पेट्रोल-डीजल महंगा हुआ तो माल ढुलाई भी बढ़ जाएगी और इसका सीधा असर आम आदमी के इस्तेमाल वाली वस्तुओं पर होगा और देश में महंगाई बढ़ जाएगी.
अर्थव्यवस्था पर दबाव
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर होगा. सबसे पहले तो आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार नीचे आ सकता है, क्योंकि रुपये में गिरावट को थामने के लिए रिजर्व बैंक को अपने भंडार में से डॉलर खर्च करना पड़ सकता है. इसके अलावा देश के निर्यातकों को तो फायदा होगा, लेकिन आयातकों को बाहर से इलेक्ट्रॉनिक्स और उर्वरक मंगाने के लिए ज्यादा पैसे खच करने पड़ेंगे. जाहिर है कि आयात में गिरावट आई तो अर्थव्यवस्था भी कमजोर पड़ेगी.
विदेश में पढ़ना और घूमना महंगा
आम आदमी पर असर होने के साथ ऐसे माता-पिता जो अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाने की इच्छा रखते हैं, उन्हें भी अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि एक तो पढ़ाई की फीस भी महंगी रहेगी और छात्रों को विदेश में रहने के लिए भी ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेगा. इसकी वजह यह है कि उन्हें विदेश में डॉलर में खर्च करना पड़ेगा, जबकि उनके माता-पिता रुपये को डॉलर में एक्सचेंज कराकर भेजेंगे. इसके लिए अब ज्यादा रुपया चुकाना पड़ेगा. इसी तरह, विदेश घूमने जाने वालों को भी ज्यादा रुपये चुकाने पड़ेंगे.