भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में भी ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं की. पिछली 11 बैठकों से रेपो रेट 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रही है. हां, अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कैश रिजर्व रेशियो 0.50 फीसदी जरूर घटा दिया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फिर दोहराया कि आम आदमी को महंगाई से राहत दिलाना उनकी प्राथमिकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उद्योग और वाणिज्य मंत्री की ब्याज दरें कम करने की अपील का कोई असर रिजर्व बैंक पर नहीं हुआ. केंद्रीय बैंक के रुख को देखकर अब ऐसा लगने लगा है कि गवर्नर शक्तिकांत दास भी रिवर्ज बैंक के पूर्व मुखिया रघुराम राजन के नक्शेकदम पर चल पडे हैं. रघुराम राजन 2013 से 2016 के बीच में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे. 2013 में अत्यधिक महंगाई के बाद उन्होंने ब्याज दरों में वृद्धि की थी. सरकार के चाहने के बावजूद भी उन्होंने ब्याज दरों में कटौती नहीं की थी. अब कुछ ऐसा ही रुख शक्तिकांत दास का दिख रहा है.
पिछले दिनों स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के एक इवेंट को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि लोगों को ज्यादा ब्याज दरों पर उधार लेने के चलते परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इंडस्ट्री को अपने बिजनेस के विस्तार और अपनी कैपेसिटी बढ़ाने के लिए सस्ती दरों पर पैसा उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने खाद्य मुद्रास्फीति और उच्च ब्याज दरों से निपटने के लिए नीतिगत बदलावों की मांग कई मंचों से कर चुके हैं. शनिवार को मुंबई में सीएनबीसी-टीवी18 इंडिया बिजनेस लीडर अवार्ड्स (आईबीएलए) को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि ब्याज दरें टमाटर और दाल जैसी वस्तुओं की मांग को कैसे प्रभावित कर सकती हैं.
महंगाई कम करना आरबीआई की प्राथमिकता
अक्टूबर के महीने में महंगाई दर 14 महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. रिजर्व बैंक आफ इंडिया की टारगेट रेंज इस दर को 2 से 6 फीसदी तक सीमित रखने की है. महंगाई दर में जबरदस्त बढ़ोतरी के चलते अल्पावधि में ब्याज दरों में शक्तिकांत दास कटौती करेंगे, ऐसा लगता नहीं है. महंगाई दर 6.2 फ़ीसदी पर पहुंच जाने की वजह से रेपो रेट में बदलाव करना रिजर्व बैंक आफ इंडिया के लिए फिलहाल दूर की कौड़ी नजर आता है.