छत्तीसगढ़ के बीजापुर से दर्दनाक खबर है. यहां धनोरा स्थित माता रुक्मिणी आश्रम में फूड पॉइजनिंग से तीसरी कक्षा की छात्रा की मौत का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि बीजापुर के नेमेड हाईस्कूल पोटाकेबिन में पढ़ने वाली दसवीं की एक छात्रा की भी अचानक मौत हो गई. मृतिका का नाम विमला कवासी बताया गया है. इस संबंध में राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला परियोजना समन्वयक कमलदास झाड़ी ने फोन पर बताया कि विमला पिछले महीने से बीमार थी. हॉस्टल वॉर्डन ने 28 नवंबर को उसे अस्पताल में भर्ती कराया था.
झाड़ी ने बताया कि उसके बाद 5 दिसंबर को उसकी अस्पताल से छुट्टी हो गई. परिजन उसे लेकर घर चले गए थे. यहां 10 दिसंबर को बच्ची की तबीयत अचानक फिर बिगड़ गई. परिजन आनन-आफन में उसे अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां जांच करने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उसकी हालत गंभीर है. उसके बाद डॉक्टरों ने उसे दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. बच्ची को डिमरापाल मेडिकल कॉलेज ले जाया जा रहा था. लेकिन, अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसने रास्ते में दम तोड़ दिया.
कांग्रेस ने सरकार को घेरा
गौरतलब है कि तीन दिन पहले फूड पॉइजनिंग से रुक्मिणी आश्रम की एक बच्ची की भी मौत हो गई है. इसके बाद जिले में बवाल मच गया था. इस मामले को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा. एक दिन पहले ही कांग्रेस के सात सदस्यीय जांच दल ने इस मामले की पड़ताल की थी. इस दल ने बच्ची की मौत और अन्य 37 बच्चों के बीमार पड़ने के लिए विभाग को लापरवाह बताया था. इस जांच दल का नेतृत्व बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि बच्चों को घटिया भोजन परोसा गया. इससे उनकी जान पर बन आई. चूंकि, मामले में प्रशासन भी अपने स्तर पर जांच पूरी कर चुका है. जांच के बाद प्रशासन ने हॉस्टल वॉर्डन को सस्पेंड भी कर दिया. लेकिन, जब दूसरी छात्रा की भी मौत हो गई तो शिक्षा विभाग, प्रशासन की कार्यशैली कटघरे में आ गई है.
जिला शिक्षा अधिकारी ने कही ये बात
इस मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी बी. धनेलिया ने कहा कि विमला की मौत की जानकारी लगी. उसे 28 नवंबर को अस्पताल में भर्ती भी कराया गया था. 5 दिसंबर को उसकी छुट्टी भी हो गई. उसके बाद पता चला कि 10 दिसंबर को उसकी तबीयत फिर बिगड़ गई. परिजन बच्ची को डिमरापाल मेडिकल कॉलेज ले जा रहे थे. लेकिन, उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.