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50 साल पुराने असम-मेघवाल सीमा विवाद समझौते को सुलझाने में केंद्र सरकार की अहम भूमिका

Assam - Meghalaya - Nagaland - Tripura Map Illustration of Indian states

रायपुर। असम और मेघालय के बीच पांच दशक पुराने सीमा विवाद को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार 29 मार्च को एक बैठक बुलाई है।
सालों बाद पूर्वोत्तर के इन दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पर जारी वार्ता सफल होती दिख रही है। असम-मेघालय के बीच कुल 884.9 किलोमीटर का बॉर्डर है जिसमें 12 विवादित क्षेत्र है। अगर नई दिल्ली में मंगलवार को होने वाली बैठक में दोनों राज्यों के बीच सहमति बनती है तो छह सीमा विवादों को सुलझाने में सफलता मिलेगी।

जानकारी के अनुसार दोनों मुख्यमंत्रियों ने सीमा विवाद को लेकर गृह मंत्री अमित शाह को जो सिफारिशें सौंपी थीं, उसके मुताबिक कुल 36.79 वर्ग किलोमीटर ज़मीन में से असम अपने पास लगभग आधी यानी 18.51 वर्ग किलोमीटर विवादित भूमि रखेगा और बाकी 18.28 वर्ग किलोमीटर ज़मीन मेघालय को देगा।

मेघालय को 1972 में असम से अलग राज्य के रूप में बनाया गया था और इसने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी थी, जिससे साझा 884.9 किलोमीटर लंबी सीमा के विभिन्न हिस्सों में 12 क्षेत्रों से जुड़े विवाद पैदा हुए थे। दोनों राज्यों के बीच 12 विवादित क्षेत्रों में ऊपरी ताराबारी, गजांग रिज़र्व फॉरेस्ट, हाहिम, लंगपीह, बोरदुआर, बोकलापारा, नोंगवा, मातमूर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोरिया ब्लॉक I और ब्लॉक II, खंडुली और रेटाचेरा शामिल हैं।
दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद इतना गहरा है कि असम पर जहां विवादित इन क्षेत्रों पर अपने पुश्तैनी दावों के आधार पर पुलिस चौकियां स्थापित करने के आरोप लगे थे वहीं मेघालय ने गुवाहाटी में कोइनाधोरा हिल पर मौजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के सरकारी आवास को अपनी ज़मीन पर अपना मालिकाना हक बता दिया था। अब ऐसी उम्मीद जताई जा रही हैं कि आपसी सहमति और केंद्र सरकार के हस्तक्षेप और विकास के लिए मदद के भरोसे के साथ दोनो राज्यों का यह विवाद खत्म हो जाएगा।

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NEWSDESK