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आजादी के अमृत महोत्सव पर जवानों को दिए जाएंगे विशेष मेडल, ऐसा होगा पदक, देखिए तस्वीर

देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ यानी आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारत अपने बहादुर नागरिकों को नवनिर्मित विशेष मेडल प्रदान करेगा. हर 25 साल में, ऐसे मेडल भारतीय सेना के जवानों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के जवानों को प्रदान किए जाते हैं. आखिरी बार 15 अगस्त 1997 को ये मेडल दिए गए थे जब ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की 50 वीं वर्षगांठ मनाई गई थी. इस विशेष प्रकार के मेडल में आगे की तरफ सम्राट अशोक के सिंह और पीछे की तरफ अशोक चक्र होगा. इसे 15 अगस्त को जारी किया जाएगा. केंद्र सरकार के प्रमुख अभियान ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के दौरान इस मेडल को प्रदान किया जाएगा.

रिपोर्ट के मुताबिक कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने इस मेडल को अंतिम मंजूरी दी थी जिसे सशस्त्र बलों के सदस्यों के साथ-साथ केंद्रीय पुलिस बल में तैनात जवानों को दिए जाएंगे. इससे पहले देश में 35 मिलीमीटर व्यास वाले गोल मेडल प्रदान किए गए हैं जो कुप्रो-निकल से बनाए गए थे और इसमें एक क्षैतिज पट्टी लगी थी.

मेडल के बारे में
परंपरा के अनुसार केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर स्मरणीय मेडल जारी किया है.
ये मेडल सशस्त्र बलों- सेना, वायु सेना और नौसेना के सभी सेवारत कर्मियों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ-साथ राज्य पुलिस इकाइयों को प्रदान किए जाएंगे.

वृत्ताकार मेडल में आगे की ओर अशोक के सिंह, पीछे की ओर अशोक चक्र अंकित होगा. यह राष्ट्रीय ध्वज के रंगों के साथ नीले रंग के रिबन में गुथा होगा. इस पदक पर 1947-2022 के साथ स्वतंत्रता की पंचसप्तति जयंती लिखी हुई है.

1997 में स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगाठ पर जो स्मरणीय मेडल दिए गए थे उसमें लाल किला की तस्वीर अंकित थी. मेडल के पीछे भारत का मानचित्र था. यह मेडल सेना, नौसेना और वायु सेना, टेरीटोरियल सेना, अन्य रिजर्व बलों, रेलवे पुलिस बल, अर्धसैनिक बलों, होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा संगठन और अग्निशमन सेवाओं सहित सभी सेवारत कर्मियों को प्रदान किया गया था.

1972 में स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगाठ के मौके पर जो मेडल दिया गया था उसमें सामने की तरफ राज्य चिह्न और उसके नीचे ’25वां स्वतंत्रता वर्षगांठ पदक’ लिखा हुआ था. इसके पीछे अशोक चक्र अंकित था, जिसके चारों ओर 1947 और 1972 की तारीखें अंकित थीं. यह तीन सेवाओं, आरक्षित बलों, टेरीटोरियल सेना, और इंटेलिजेंस ब्यूरो के तकनीकी कर्मचारियों, कलकत्ता विशेष पुलिस बल, होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा संगठन, अग्निशमन सेवाओं, जेल कर्मचारियों और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को दिया गया था.

रिपोर्टों के अनुसार, 1947 में पहली बार यह स्मरणीय मेडल देश के सभी नागरिकों के साथ-साथ सशस्त्र बलों में सेवारत नेपाली गोरखाओं को वितरित किया गया था.