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डॉक्टरों और दवा कंपनियों के गठजोड़ को भी अब भ्रष्टाचार की जांच के दायरे में लाने की है तैयारी

दवा कंपनियों और डॉक्टरों के गठजोड़ (Pharmaceutical Companies and Doctors Nexus) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह जवाब फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेंजेंटिटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FMRAI) के द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद मांगा है. इस याचिका में दवा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को बांटे जाने वाले उपहारों के लिए जवाबदेही तय करने की मांग की गई है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका डोलो- 650 (Dolo- 650mg Tablet) बनाने वाली दवा कंपनी के खिलाफ दायर की गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सूत्रों की मानें तो हाल के कुछ घटनाक्रमों के बाद मोदी सरकार इस गठजोड़ को भ्रष्टाचार के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने एफएमआरएआई द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार को जवाब देने को कहा है, जिसमें डोलो- 650 दवा बनाने वाली कंपनियों ने इस दवा को बढ़ावा देने के लिए 1000 हजार करोड़ रुपये डॉक्टरों को मुफ्त उपहार की पेशकश की. सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मामला बताया है. इस मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को होने वाली है.

सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई
बता दें कि बेंगलुरु स्थित माइक्रो लैब्स लिमिटेड द्वारा बनाई गई डोलो- 650 टैबलेट बुखार में इस्तेमाल में की जाने वाली दवा है. कोरोना काल के दौरान यह दवा देश के हर घर में उपयोग में लाई गई. सभी डॉक्टरों ने इस दवा को बुखार से निजात दिलाने के लिए प्रिस्क्राइब किया. कोरोना काल में यह दवा बाजार में आसानी से उपलब्ध थी.

गठजोड़ पर क्या कहता नियम
अब एफएमआरएआई ने इस फार्मा कंपनियों पर पर अनैतिक रूप से डॉक्टरों को उपहार देकर दवा लिखवाने का आरोप लगाया है. यह संगठन संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार को लागू करने की मांग कर रहा है. संगठन ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों के द्वारा यह दवा ज्यादा लिखने के कारण इसके दाम बढ़ते हैं और इससे आम आदमी का स्वास्थ्य प्रभावित होता है.