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IAC Vikrant: भारत का पहला स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट कैरियर होगा 2 सितम्बर को लॉन्च, समंदर में दुश्मनों पर होगी पैनी नजर

कोचीन शिपयार्ड में लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बना भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएसी विक्रांत (IAC Vikrant) 2 सितंबर को लॉन्च किया जाने वाला है. पीएम नरेंद्र मोदी आईएसी विक्रांत को नौसेना में शामिल करेंगे. देश में बनने वाला 45,000 टन का स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट कैरियर भारतीय नौसेना को एक ब्लू वॉटर नेवी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक मिग-29 सुपरसोनिक फाइटर जेट्स के अपने विशाल डेक से महत्वपूर्ण उड़ान परीक्षणों को पूरा करने के बाद आईएसी विक्रांत पूरी तरह से जंग के लिए तैयार हो जाएगा. इसके साथ ही वह 2023 के मध्य तक अपने सभी उच्च-तकनीकी हथियारों से लैस हो जाएगा. जिसमें इजरायल की 80-किमी. रेंज की बराक-8 सर्फेस -टू-एयर मिसाइल सिस्टम भी शामिल है. ध्रुव, सी किंग और चेतक हेलीकॉप्टरों के परीक्षण पहले ही समाप्त हो चुके हैं. अब अक्टूबर-नवंबर में शुरू होने वाले मिग-29 के परीक्षणों के लिए आईएसी विक्रांत पूरी तरह तैयार है. अमेरिका से हासिल नए पनडुब्बी शिकारी एमएच-60  रोमियो हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ रूस के कामोव-31 हेलिकॉप्टरों के परीक्षण भी चल रहे हैं.

आईएसी विक्रांत के कैप्टन कमोडोर विद्याधर हरके ने बताया कि आईएसी के समुद्री परीक्षणों के दौरान  पहली बार में डेक पर 22 हेलीकॉप्टरों ने टचडाउन किया था. धीरे-धीरे हम उनके बेड़ों को बढ़ाएंगे. आईएसी विक्रांत का डिजाइन भारतीय नौसेना के डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन (DND) ने बनाया है. इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने बनाया है. जो पोर्ट्स, शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड है. इस एयरक्रॉफ्ट कैरियर का नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर रखा गया है. जिसने 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक अहम भूमिका निभाई थी.

IAC विक्रांत का परीक्षण चार परीक्षण चरणों में किया गया था, इसका चौथा परीक्षण 10 जुलाई को पूरा हुआ था. समुद्री परीक्षणों के अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद भारतीय नौसेना ने 28 जुलाई को सीएसएल से वाहक की डिलीवरी ली थी. बहरहाल इसे औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल करने के लिए 2 सितंबर को सीएसएल जेट्टी में एक कार्यक्रम होगा. विक्रांत की डिलीवरी के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास स्वदेशी रूप से एक विमान वाहक डिजाइन करने और बनाने की क्षमता है