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NPS ग्राहकों के लिए राहत की खबर, एनपीएस पॉलिसी की पोर्टेबिलिटी पर विचार जारी

एपीएस (NPS) में निवेश करने वालों के लिए एक राहत भरी खबर है. पेंशन फंड रेगुलेटर पीएफआरडीए (PFRDA) ने एनपीएस सब्सक्राइबर के लिए पेंशन पॉलिसी की ‘पोर्टेबिलिटी’ के मुद्दे पर इंश्योरेंस सेक्टर के रेगुलेटर इरडाई (IRDAI) के साथ शुरुआती दौर की चर्चा की है, जिससे पेंशन योजनाओं की पोर्टेबिलिटी का रास्ता तैयार होगा.

पीएफआरडीए ने एनपीएस पॉलिसी की पोर्टेबिलिटी पर IRDAI से की चर्चा
मौजूदा समय में एनपीएस के तहत किसी भी पेंशन प्रोडक्ट को एक बार चुने जाने के बाद बदला नहीं जा सकता है. पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी पीएफआरडीए के चेयरमैन सुप्रतिम बंद्योपाध्याय ने इस संदर्भ में कहा, ‘हमने इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अलावा सेवा प्रोवाइडर्स के साथ भी पोर्टेबिलिटी के मसले पर चर्चा की है. हालांकि, अभी यह चर्चा शुरुआती दौर में ही है.’

फिलहाल 15-20 दिनों की शुरुआती अवधि के बाद पॉलिसी पोर्ट नहीं
उन्होंने कहा, ‘समस्या यह है कि एक बार पेंशन प्रोडक्ट चुन लिया जाता है, तो इसे 15-20 दिनों की शुरुआती अवधि के बाद बदला नहीं जा सकता है. लेकिन, यह देखा गया है कि कई सब्सक्राइबर जल्दबाजी में इसे चुनते हैं और बाद में उन्हें किसी अन्य प्रोडक्ट के बेहतर होने का अंदाजा होता है.’

हालांकि, फंड संग्रहण (Fund Accumulation) के स्टेज में एनपीएस पॉलिसी को पोर्ट करने की सुविधा पहले से ही मौजूद है. एनपीएस सब्सक्राइबर को रिटायरमेंट के समय अनिवार्य रूप से अपने रिटायरमेंट फंड का एक हिस्सा पेंशन पॉलिसी में रखना होता है. केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम पेंशन खरीद की राशि उसके कुल फंड का 40 फीसदी है.