छत्तीसगढ़

देश में बिछा एक्सप्रेस-वे का जाल आर.एस. द्विवेदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकताएं क्या हैं, इस बारे मेंतपाक से कोई जवाब नहीं दिया जा सकता। किसानों, नवयुवकों, महिलाओं, कामगारों के लिए बीते 8 साल मंे मोदी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। देश की आंतरिक सुरक्षा से लेकर वाह्य सुरक्षा तक के इंतजाम किये गये। जन कल्याणकारी योजनाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाने को प्राथमिकता दी गयी। इन सभी के बीच मोदी ने स्वयं महसूस किया कि यदि आवागमन का साधन सुचारु नहीं होगा तो कोई भी कार्य शत-प्रतिशत सफलता के साथ नहीं किया जा सकता है। यह बात संभवतः मोदी जी ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी बाजपेई से सीखी थी जिन्होंने देश में नदियों को जोड़ने और सड़कों का जाल बिछाने की योजना बनायी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाईवे और एक्सप्रेसवे का जाल बिछाया है। उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा मार्ग मिले हैं। सड़कें विकास का आधार हैं, यह देखते हुए कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ जैसे राज्य मंे भी एक्सप्रेसवे और हाईवे बनाए गये हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में कार्यकाल संभालने के बाद से ही देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर सड़कों का जाल बिछाने को सबसे अहम प्राथमिकता दी। उत्तर प्रदेश कहने को तो देश का सबसे बड़ा प्रदेश है, लेकिन सालों तक विपक्ष के शासन के दौरान सड़कों के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। यूपी के एक छोर से दूसरे छोर तक जाना एक टेढ़ी खीर थी। तमाम विपक्षी सरकारों ने दशकों तक सड़कों पर कोई ध्यान नहीं दिया और ये क्षेत्र वर्षो तक उपेक्षा झेलता रहा। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले आगरा और लखनऊ के बीच निर्मित यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा कराया, जिसका अधूरा काम उन्हें अखिलेश यादव सरकार से विरासत में मिला था। पीएम मोदी के नेतृत्व में योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ 302 किलोमीटर लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का काम पूरा किया बल्कि यूपी को 641 किलोमीटर लंबे कई अन्य एक्सप्रेस-वे की सौगात भी दी। पीएम मोदी के नेतृत्व में योगी सरकार ने देश के सबसे बड़े एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा कराया। 340 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया गया है। पीएम मोदी ने जुलाई 2018 में इसकी नींव रखी थी। इस एक्सप्रेस-वे ने उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग के लोगों को देश की राजधानी दिल्ली के करीब लाने में अहम भूमिका निभाई। उत्तर प्रदेश में 6 एक्सप्रेस-वे पहले से संचालित हैं और सात एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन हैं। यूपी में तेजी से बिछाए जा रहे एक्सप्रेस-वे का जाल न सिर्फ लोगों को आवागमन की सुविधा देगा बल्कि ये यूपी को विकास के अगले पायदान पर भी पंहुचाएगा। सरकार की योजना एक्सप्रेस-वे के निकट विभिन्न जिलों से जुड़े खास उद्योगों से जुड़े क्लस्टर स्थापित करने की भी है ताकि एक्सप्रेस-वे बनने के बाद निवेशकों को तेजी से आकर्षित किया जा सके। इस कदम के दो लाभ होंगे। स्थानीय निवासियों को बेहतर रोजगार के अवसर देने के साथ-साथ ये स्थानीय उद्योगों को अपने उत्पाद देश के हर कोने तक तेजी से पहुंचाने में भी अहम कारगर साबित होंगे।
उत्तर प्रदेश में इस समय गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे (91 किलोमीटर), गंगा एक्सप्रेस-वे (594 किलोमीटर), लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे (63 किलोमीटर), गाजियाबाद-कानपुर एक्सप्रेस-वे (380 किलोमीटर) और अन्य एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन हैं।
लगभग 519 किलोमीटर लंबे गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे का 84 किलोमीटर का हिस्सा यूपी में होगा। गोरखपुर से शुरू होकर देवरिया और कुशीनगर से होते हुए ये बिहार पहुंचेगा। इसी प्रकार 91 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे गोरखपुर जिले के जैतपुर से प्रारंभ होगा और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से मिलेगा। इस परियोजना का निर्माण 5,876 करोड़ रुपये से किया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे बनने के बाद गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) निवेश के लिए इच्छुक फर्मों को जमीन उपलब्ध कराने के काम में तेजी से जुटा है। इस एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर औद्योगिक गलियारा विकसित कर मल्टीनेशनल कंपनियों को आकर्षित किया जाएगा। यूपी में इस समय 63 किलोमीटर लंबे लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे के निर्माण की योजना पूरी हो चुकी है । ढाई साल में पूरे होने वाले इस एक्सप्रेस-वे से कानपुर और लखनऊ की जनता को दोनों शहरों के बीच आने-जाने के लिए एक अत्याधुनिक एक्सप्रेस-वे की सुविधा मिलेगी और दोनों शहरों और इससे जुड़े इलाकों में औद्योगिक विकास को पंख लगेंगे। इसी तरह कानपुर और गाजियाबाद के बीच बनने वाले एक्सप्रेस-वे का निर्माण 2025 तक पूरा होने की संभावना है। ये एक्सप्रेस-वे गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, फर्रूखाबाद, कन्नौज, उन्नाव और कानपुर को जोड़ेगा। गंगा एक्सप्रेस-वे यूपी का सबसे लंबा एक्स्प्रेस-वे होगा। लगभग 594 किलोमीटर लंबा ये एक्सप्रेस-वे मेरठ से प्रयागराज को जोड़ेगा। इस एक्सप्रेस-वे के बनने से 12 जिलों मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज जिले को लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गैर भाजपा शासित राज्यों मंे भी सड़कों का जाल बिछाया है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने दुर्ग-रायपुर एक्सप्रेस-वे के निर्माण की घोषणा मार्च 2016 में की थी। नया रायपुर, रायपुर, चरोदा, जामुल, कुम्हारी, भिलाई-3, दुर्ग आदि शहर ग्रेटर रायपुर परियोजना में शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट में 2689 करोड़ की लागत आने का अनुमान है। जमीन अधिग्रहण और मुआवजे की प्रक्रिया का काम जारी है। भारतमाला प्रोजेक्ट में दुर्ग जिले के 26 गांवों के 1349 किसानों की जमीन के अधिग्रहित की जानी है। 480 करोड़ से अधिक राशि के मुआवजा का भुगतान किया जाना है। यह प्रोजेक्ट पिछले दो साल से मुआवजा राशि का वितरण न होने से अटका हुआ था। दावा किया जा रहा है कि इस एक्सप्रेस-वे के बन जाने से दुर्ग से रायपुर की दूरी महज 20 मिनट में तय की जा सकेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस एक्सप्रेस-वे में 6 बड़े ब्रिज और 27 छोटे ब्रिज बनाए जाएंगे। यह एक्सप्रेस-वे रायपुर-दुर्ग राजनंदगांव से होकर गुजरेगा। यह एक्सप्रेस-वे कोलकाता-मुंबई बायपास के नाम से जाना जाएगा। दुर्ग पर एक्सप्रेस-वे काम बहुत तेजी से चल रहा है। दुर्ग से पाटन तक अगले साल तक एक्सप्रेस-वे का काम पूरा होने की संभावना है।