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क्यों जरूरी है उद्योगों के लिए पीएलआई स्कीम और आम लोगों तक कैसे पहुंचता है इसका लाभ

केंद्र सरकार 35000 करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम का विस्तार अन्य उद्योगों में भी करेगी. इसमें चमड़ा, साइकल, कुछ वैक्सीन उत्पाद व टेलीकॉम प्रोडक्ट्स उद्योग शामिल हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने रविवार शाम को एक अधिकारी के हवाले से यह बात कही. खबर के अनुसार, इस प्रस्ताव पर अभी विचार चल रहा है. इसे लेकर विभिन्न मंत्री वार्ता कर रहे हैं.

केंद्र पहले ही 2 लाख करोड़ रुपये की पीएलआई योजना 14 सेक्टर्स के लिए लागू कर चुका है. इसमें फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, खाद्य उत्पाद, उच्च क्षमता वाले सोलर पीवी मॉडल्स और स्पेशियलिटी स्टील उद्योग शामिल हैं. पीटीआई के मुताबकि, अधिकारियों का कहना है कि इस 2 लाख करोड़ रुपये में से कुछ पैसा बाकी है जिसे अन्य उद्योगों को दिया जा सकता है. पीएलआई स्कीम को लेकर पिछले कुछ सालों में काफी चर्चा हुई है. कहा जा रहा है कि इससे उद्योगों को बेहद जरूरी समर्थन मिलता है. आज हम आपको पीएलआई योजना के बारे में विस्तार से बताएंगे और देखेंगे कि इसका लाभ आम आदमी तक कैसे पहुंचता है.

क्या है पीएलआई योजना
मान लीजिए आपको लगता है कि किसी उत्पाद की प्रोडक्शन बढ़ाने की जरूरत है. उस प्रोडक्ट की मांग अभी बाजार में अच्छी नहीं है लेकिन आप समझते हैं कि उसके बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन और सही दाम पर बिक्री से उसकी मांग में उछाल आ जाएगा. इस स्थिति में प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) लेकर आते हैं. पीएलआई प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सरकारों द्वारा बहुत पहले से इस्तेमाल किया जा रहा है. नाम से साफ है कि इस योजना के तहत प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कंपनियों को इन्सेंटिव दिया जाता है. अब यह इन्सेंटिव अलग-अलग तरीके से दिया जा सकता है. इसमें आयात-निर्यात शुल्क में छूट या आसान भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शामिल है.

उदाहरण से समझें
देश में इलेक्ट्रिक स्कूटर्स काफी चर्चा में हैं. हालांकि, जमीनी स्तर पर इसकी इनकी संख्या अब भी काफी कम है. लोग अभी भी इलेक्ट्रिक स्कूटर्स लेने से थोड़ा सा हिचक रहे हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं. स्कूटर्स की चार्जिंग के लिए स्टेशन की उपलब्धता, उनमें आग लगने की खबरें या उनकी पावर को लेकर आशंकाएं इसका कारण हो सकती हैं. लेकिन सरकार चाहती है कि लोग धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर शिफ्ट करें. ऐसे में वह प्रोडक्शन को ज्यादा-से-ज्यादा करने पर जोर दे रही है. इसलिए सरकार पीएलआई स्कीम के तहत फास्टर एडोप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक लेकर आई है. इसमें ईवी निर्माताओं को कई तरह की छूट दी जाती हैं.