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आर्थिक मोर्चे पर अन्य देशों के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर, वित्त मंत्रालय ने कहा- ये सरकार के फैसलों का असर

भारत की आर्थिक विकास दर और उसकी स्थिरता से जुड़ी चिंताएं दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कम चिंताजनक है. वित्त मंत्रालय ने सितंबर माह के लिए मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में यह बात कही है, साथ ही मध्यम अवधि में आर्थिक विकास की दर 6 फीसदी से ऊपर रहने का अनुमान जताया है.

वित्त मंत्रालय के अनुसार, हाल की वैश्विक घटनाओं के कारण निवेश के लिहाज से भारत एक अहम डेस्टिनेशन के तौर पर उभरा है. लंबे इंतजार के बाद डोमेस्टिक इनवेस्टमेंट साइकिल शुरू हुआ था, इसमें जियो-पॉलिटिकल संघर्ष और मॉनेटरी टाइटनिंग घटने के बाद तेजी आएगी.

‘ऊर्जा संकट और सप्लाई चेन अब भी चिंता का विषय’
फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा है कि वैश्विक ऊर्जा संकट और सप्लाई चेन को लेकर चिंता बनी हुई है. वैश्विक संघर्ष बढ़ने से सप्लाई चेन पर दबाव फिर से बढ़ सकता है. इसकी वजह से 2023 में महंगाई कम होने के बजाय बढ़ सकती है. वहीं, फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा कि कई साल के डेवलपमेंट के बाद इंडिया का पब्लिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंशियल एक्सेस पर बड़े नतीजे देने को तैयार है. इस साल इंडिया दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी होगी.

फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों की ग्रोथ को देखकर ऐसा लगता है कि कैपिटर एक्सपेंडिचर बढ़ाने के लिए सरकार के उपायों का असर दिख रहा है. एक साल पहले अगस्त तक सरकार का कैपिटल एक्सपेंडिचर इसी अवधि के मुकाबले 46.8 प्रतिशत ज्यादा था.