आपके पास है कितना फंड- यह देखें कि आपके पास अब तक कितनी संपत्ति जमा हुई है. यह रिटायरमेंट के बाद आपके काम आएगी और इससे यह तय करना आसान हो जाएगा कि आपको और कितने पैसों की जरूरत है. इसके लिए आप अपने पेंशन फंड, बैंक में जमा, अचल संपत्ति या घर व बैंक में रखा सोना देख सकते हैं.
कितनी है आपकी जरूरत- अब यह देखें कि आपको कितने फंड की जरूरत होगी. उसके बाद बाद इसी अनुसार निवेश करना शुरू करें. यहां आप ये भी देख सकते हैं कि आपको किस निवेश विकल्प का चयन करना है. देर से निवेश शुरू करने पर अधिक जोखिम वाले विकल्पों से दूर रहने की कोशिश करें.
गैर-जरूरी खर्च खत्म करें- आपको ऐसे किसी भी खर्च पर रोक लगा देनी चाहिए जो बहुत जरूरी न हो. कभी-कभी कुछ चीजों का आनंद लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन उसकी फ्रीक्वेंसी बिलकुल घटा दें. अभी आपका बचाया हुआ 1-1 रुपया आने वाले समय में हजारों रुपये में तब्दील हो सकता है.
एक्सपर्ट से मिलें- जब आप करियर के शुरुआती दौर में निवेश करना चालू करते हैं तो आपके पास रिस्क लेने की क्षमता होती है लेकिन देरी से ऐसा करने वाले लोगों को ये लग्जरी नहीं मिल पाती. इसलिए निवेश से पहले किसी वित्तीय एक्सपर्ट की सलाह लें ताकि आप गलत कदम उठाकर अपनी जमापूंजी जाया न कर दें.
कंपाउंडिग की ताकत- ये बहुत आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली बात की है कंपाउंडिंग में बहुत शक्ति होती है. कंपाउंडिंग का मतलब है कि आपके शुरुआती निवेश पर आपको अतिरिक्त रिटर्न मिलते जाना. मसलन, आपको 1000 रुपये पर सबसे पहले 100 रुपये का रिटर्न मिला. अगली बार ये रिटर्न 1100 रुपये पर मिलेगा. इसलिए जितना हो सके निवेश चालू कर दें और देखें कि लॉन्ग टर्म में ये आपके लिए क्या कर सकता है.