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मंदी की ओर बढ़ रही है दुनिया, महंगाई कम नहीं होने तक बढ़ती रहेंगी ब्याज दरें- सर्वे में अर्थशास्त्रियों का अनुमान

ग्लोबल इकोनॉमी मंदी की ओर बढ़ रही है.न्यूज एजेंसी रॉयटर्स द्वारा कराए गए सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान जतायै है. उन्होंने एक बार फिर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओंके लिए विकास दर के पूर्वानुमानों में कटौती की है. वहीं, सभी सेंट्रल बैंक महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं.

इन इकोनॉमिस्ट के अनुसार, अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं जो पहले से ही मंदी की गिरफ्त में हैं या इसकी ओर बढ़ रही हैं. हालांकि, पिछले आर्थिक संकटों की तुलना में इस बार बेरोजगारी की दर अपेक्षाकृत कम है.  इस मंदी में चार दशकों में विकास दर और बेरोजगारी के बीच सबसे छोटा अंतर होने की उम्मीद है.

मंदी की अवधि कम होगी
ज्यादातर जानकारों ने कहा कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए मंदी की यह अवधि छोटी होगी, हालांकि महंगाई का असर लंबे समय तक देखने को मिल सकता है. ग्लोबल सेंट्रल बैंकों में से ज्यादातर बैंकों की ब्याज दरें दो-तिहाई से ज्यादा हैं, लेकिन महंगाई अब भी उनके अनुमान से बहुत अधिक है.

ड्यूश बैंक के एनालिस्ट ने कहा, ‘पिछले 18 महीनों में महंगाई से जुड़े अनुमान आम तौर पर खराब रहे हैं. इस बीच वैश्विक इक्विटी और बॉन्ड बाजार अव्यवस्थित हैं, जबकि अमेरिकी डॉलर ब्याज दर की उम्मीदों के आधार पर विदेशी मुद्रा बाजारों में बहु-दशक के शिखर पर है.’

सर्वे की बड़ी बातें

 

  • 257 में से 179 अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आने वाले वर्ष में बेरोजगारी में तेज वृद्धि की संभावना कम से बहुत कम थी. हालांकि यह एक विनाशकारी मंदी नहीं होगी.
  • 26 सितंबर-अक्टूबर 25 सितंबर को 47 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को कवर करने वाले अर्थशास्त्रियों के रॉयटर्स पोल के मुताबिक, इस साल 2023 में वैश्विक विकास दर 2.9 प्रतिशत से 2.3 प्रतिशत तक घटने का अनुमान है, इसके बाद 2024 में यह 3 फीसदी तक रिबाउंड होगी.
  • वहीं, इस पोल में 70 फीसदी इकोनॉमिस्ट ने कहा कि वे जिन अर्थव्यवस्थाओं को कवर करते हैं उनमें जीवन संकट की लागत अगले छह महीनों में खराब हो जाएगी. बाकी अर्थशास्त्रियों इसमें सुधार की उम्मीद की है.
  • इन अर्थशास्त्रियों की मानें तो अमेरिकी फेड 2 नवंबर को लगातार चौथी बार इंटरेस्ट रेट में 75 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि कर सकता है और इकोनॉमिस्ट का कहना है कि इसे तब तक नहीं रोकना चाहिए जब तक कि महंगाई अपने मौजूदा स्तर से लगभग आधी नहीं हो जाती है.
  • भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर भी अगले दो वर्षों में अच्छी क्षमता के बावजूद नीचे जाने का अनुमान लगाया गया था, जिसमें औसत 2022-23 वित्तीय वर्ष में 6.9 प्रतिशत और अगले वर्ष 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दिखा रहा था.
  • दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के 2022 में 3.2 प्रतिशत से बढ़ने की उम्मीद थी, जो लगभग 5.5 प्रतिशत के आधिकारिक लक्ष्य से काफी कम है और महामारी से पहले विकास दर से भी कम है.