छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों की बड़ी कामयाबी, श्रीराम के ननिहाल में मिली ‘संजीवनी बूटी’

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के फॉर्मेसी डिपार्टमेंट के साइंटिस्ट ने एक ऐसी अनोखी दवा इजाद की है, जो गहरे जख्मों को तुरंत भर सकती है. इस दवा की ख़ास बात ये है कि ये पूरी तरह नेचुरल रिसोर्सेस और प्रोडक्ट से बनी हुई है. केवल आम, इमली, स्ट्रॉबेर और टमाटर जैसे फल और सब्जियों में पाये जाने वाले एक तत्व ल्यूपीआल में सिंथेटिक ड्रग मिलाकर ये करामाती दवा तैयार की गई है. दवा को बनाने वाले ग्रुप के साइंटिस्ट और यूनिवर्सिट के प्रोफेसर डॉ. दीपेन्द्र सिंह ने बताया कि 10 से 12 साल की मेहनत के बाद ये दवा तैयार की गई है.

भारतीय सैनिको के लिए मददगार

दवा को बनाने के लिए शोध में शामिल यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर और साइंटिस्ट डॉ मंजू सिंह ने बताया कि वॉर में इससे सैनिकों को तुरंत राहत मिलेगी. किसी भी तरह का गहरा ज़ख्म होने पर ये दवा संजीवनी का काम करेगी, क्योंकि कई बार ऐसे हालात में ज्यादा खून बहने से इंसान की मौत हो जाती है, लेकिन ये दवा तुरंत खून का बहना रोकेगी और 12 घंटे के भीतर घाव भी भर जाएगा.

छत्तीसगढ़ वन सम्पदा, औषधी और नेचुरल प्रोडक्ट्स से सम्पन्न राज्य है. यहां के रिसर्चर हरीश भारद्वाज ने बताया कि उनकी कोशिश है कि प्रदेश के नेचुरल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर कम कीमतों में असरदार दवा का निर्माण हो और अभी जख्मों को भरने के लिए जो दवा तैयार की गई है, वो भी लोगों को कम कीमतों में मिलेगी.

सर्च का एनिमल ट्रायल हो चुका

पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट द्वारा इजाद की गई इस दवा के वैज्ञानिक शोधों के लिए अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन एल्सवेयर और स्पिरंगर जनरल समेत 100 से ज्यादा जर्नल्स में छत्तीसगढ़ के इन साइंटिस्ट्स का रिसर्च प्रकाशित हो चुका है और अब इसी रिसर्च को आधार मानकर कई इंटरनेशनल साइंटिस्ट भी इस तकनीक पर काम कर नई दवाएं विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के इस रिसर्च का एनिमल ट्रायल हो चुका है और अब ह्यूमन ट्रायल के लिए फंड की दरकार है, ताकी आम लोगों तक भी ये कम दाम में पहुंच पाए.

संजीवनी बूटी वर्णन प्रसिद्ध धर्मग्रंथ रामायण में मिलता है, जहां लक्ष्मण जी के मुर्छित होने पर उनका जीवन बचाने के लिए हनुमान पूरा का पूरा पहाड़ उठा ले आए थे. छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों द्वारा इजाद ये दवा आज की जमाने की संजीवनी साबित हो सकती है, अगर इस रिसर्च को सरकार द्वारा पूरा प्रोत्साहन दिया जाए.